Book Title: Jain Kalganana Vishayak Tisri Prachin Parampara
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Kalyanvijay

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन काल-गणना कुमारगिरि पर नेणिक के बनवाए हुए जिन-मंदिर को तोड़ उसमें रखी हुई ऋषभदेव की सुवर्णमयी प्रतिमा को उठाकर पाटलिपुत्र में ले पाया। इसके बाद शोभनराय की ८वीं पीढ़ी में क्षेमराज' नामक कलिंग का राजा हुआ। वीर निर्वाण के बाद जा २२७ वर्ष पूरे हुए तब कलिग के राज्यासन पर क्षेमराज का अभिषेक हुआ और निर्वाण से २३६ वर्ष बीतने पर मगधाधिपति अशोक ने कलिंग पर चढ़ाई की' और वहाँ के राजा क्षेमराज को अपनी आज्ञा मनाकर वहाँ पर उसने अपना गुप्त संवत्सर चलाया। (७) हाथीगुफावाले खारवेल के शिलालेख में भी पंक्ति १६ वीं में “ खेमराजा स" इस प्रकार खारवेल के पूर्वज के तौर से क्षेमराज का नामोल्लेख किया है। (२) कलिंग पर चढ़ाई करने का जिक्र अशोक के शिलालेख में भी है। पर वहां पर अशोक के राज्याभिषेक के आठवे वर्ष के बाद कलिंग विजय का उल्लेख है। राज्यप्राप्ति के बाद ३ अथवा ४ वर्ष पीछे अशोक का राज्याभिषेक हुअा मान लेने पर कलिंग का युद्ध अशोक के राज्य के १२-१३ वें वर्ष में आयगा । थेरावली में अशोक की राज्यप्राप्ति निर्वाण से २०६ वर्ष के बाद लिखी है। अर्थात् २१० में इसे राज्याधिकार मिला और २३६ में उसने कलिंग विजय किया। इस हिसाब से कलिंग विजयवाली घटना अशोक के राज्य के ३० वे वर्ष के अंत में प्राती है, जो कि शिलालेख से मेल नहीं खाती। (३) अशोक के गुप्त संवत्सर चलाने की बात ठीक नहीं जंचती। मालूम होता है, थेरावली-लेखक ने अपने समय में प्रचलित गुप्त राजाओं के चलाए गुप्त संवत् को अशोक का चलाया हुआ मान लेने का धोखा खाया है। इसी उल्लेख से इसकी अति प्राचीनता के संबंध में भी शंका उत्पन्न होती है। For Private And Personal Use Only

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