Book Title: Jain Kalganana Vishayak Tisri Prachin Parampara
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Kalyanvijay

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन काल-गणना यह अंतर महावीर के निर्वाण और विक्रम के मरण का है, तब अन्य गणना-परंपरानों में यह अंतर वीर-निर्वाण और विक्रम-राज्यारोहण का अथवा विक्रम संवत्सर-प्रवृत्ति का माना गया है। प्रस्तुत थेरावली की गणना के अनुसार महावीर-निर्वाण से विक्रम-राज्यारंभ तक के ४१० वर्षों का हिसाब नीचे के विवरण से ज्ञात होगा। निर्वाण के बाद कोणिक तथा उदाथी' नवनंद चंद्रगुप्त बिंदुसार अशोक संप्रति बलमित्र-भानुमित्र नभोवाहन तथा शक (१) तित्थोगाली पइन्नय की गणना में ६० वर्ष पालक के लिये हैं, पर इसमें पालक का कहीं भी नाम-निर्देश नहीं है। (२) संप्रति २६३ के बाद स्वर्ग गया और २६४ के बाद बलमित्र भानुमित्र राजा हुए। इससे मालूम होता है, बीच में १ वर्ष तक कोई राजा नहीं रहा होगा-अराजकता रही होगी। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32