Book Title: Jain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Author(s): Ratanchand Mehta
Publisher: Kamal Pocket Books Delhi

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Page 7
________________ परम आदरणीय प्रातः स्मरणीय मुनि श्री सुशील कुमार जी को आज समूचा विश्व भगवान् महावीर के रूप में सम्बोधित कर रहा है । और सच तो यह है कि मुनि श्री सुशील कुमार जी ने धर्म की रूढ़िवादता को तोड़कर अहिंसा और जैन धर्म को विश्वधर्म का रूप देने के लिए अपने सभी सुखों, स्वार्थों और निजी महत्व को वलिदान कर दिया। उनके गरिमामान जीवन चरित्र में जहां विश्वधर्म सम्मेलनों की घटनायें जुड़ी हुई हैं, वहां भगवान महावीर के २५००वें निर्वाण महोत्सव पर उनके विश्वव्यापी वीतराग प्रचार से विदेशों के लोग लाभान्वित हुए हैं । उनकी धारणा हमेशा समन्वय ही रही है और भारत माता के तो वे सच्चे सपूत हैं । ऐसी स्थिति में जैन धर्म को किसी भारतीय धर्म से अलग देखना उन्हें जरा भी नहीं सुहाता । अपनी इस पाशीर्वाद में धारणा के सुफल से उन्होंने प्रस्तुत पुस्तक को आशीर्वाद दिया है और ऐसी आशा व्यक्त की है कि इस पुस्तक द्वारा जैन और वैष्णव धर्म के बीच होने वाले मतभेद सदा के लिए समाप्त कर दिये जायें। ऐसी महत्वपूर्ण प्रति का प्रकाशन करते हुए हमें गर्व अनुभव हो रहा है और हम महसूस कर रहे हैं कि मुनि श्री जी का जो वरदहस्त हमारे ऊपर है, उसकी छत्रछाया में हम यह महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं । आशा है, आपको भी यह प्रयास रचेगा और आप निरन्तर कृपा बनाये रखेंगे। प्रकाशक : नरेश चन्द जैन सरकाा पाकेट बुक्स १२, शहीद भगत सिंह मार्ग, नई दिल्ली--११०००१. फोन : ३४५४८७

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