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लियत पर यकिंवित् जमे रहने से उसकी नींव पर्याप्त न हिल सकी । परन्तु अब भारतवर्ष की असलियत में अंग्रेजों के गत शासन ने दीमक लगा दी है सो उनकी शिक्षा दीक्षा से प्रभावित और प्रवाहित होकर उनके उत्तराधिकारी काले अंग्रेजों ने इस आदर्श और अनुगम्य संस्कृति को सर्वथा मूलोच्छिन्न करने के लिए ही कमर बांधली है अतएव वास्तविक भारतीय संस्कृति के संरक्षण के चिन्ह नहीं दीख रहे हैं। विधान ही इस प्रकार के बनाये जारहे है सो दण्ड भय से कट्टर से कट्टर व्यक्ति को भी चुप होजाना पड़ता है
विवाह के लिए एक धर्मता उतनी आवश्यक नहीं, जितनी कि सजातीयता आवश्यक है । सजातीयता के साथ समान धर्मता भी हो तो सोने में सुगन्धवाली कहावत चरितार्थ होजाती है परन्तु सवसे अधिक और अनिवार्य सजातीयता आवश्यक है। धर्म का सम्बन्ध प्रात्मा से है और विवाह का सम्बन्ध भावी संतति और रक्त मिश्रण से है। धर्म को प्रत्येक मानव ही नहीं, पशु भी धारण कर सकता है और समानधर्ना हो सकता है परन्तु सजातीय नहीं हो सकता । आति का सम्बन्ध जन्म से है और धर्म का सम्बन्ध मानसिक विचार प्रणाली से हैं।
विवाह-सम्बंध में सजातीयता की अनिवार्यता और सधर्मता की गौणता के उदाहरण वर्तमान में भी सामने है। जैसे वैष्णव अप्रवालों और जैन अग्रवालों में परस्पर विवाह संबध । खंडेल