Book Title: Jain Dharm aur Jatibhed
Author(s): Indralal Shastri
Publisher: Mishrilal Jain Nyayatirth Sujangadh

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Page 67
________________ - ६२ - - पाक के समय का वातावरण गढ़वाद का समर्थक है । श्रात्म बाद जो भारत का मुख्य ध्येय या उससे जनता की मनोवृत्ति द्र गति से हटती जारही है। जिसका कारण जड़वाद में प्रत्यक्ष आकर्षण र लाभास है । प्रात्मिकता का अलौकिक आकर्षण साधारण भावुक जनता को उपलब्ध नहीं होना क्योंकि वह सरल नहीं है। यह सिद्धान्त है कि शासक की मनोवृत्ति के अनुसार ही जनता का शासन होता है और वैसी ही मनोवृत्ति जनग की बन जाती है। आज के शासन की मनोवृत्ति अ रका अथबा रूस की ओर है । भरिका से भी रूस की ओर अधिक है। जिन्हें भारतीय संस्कृति में श्रानन्दोपभोग का अनुभव है वे जितने भी तात्विकता को भोर रहें उतना ही अच्छा है क्योंकि एक कवि ने कहा है कि उत्पत्स्यते हि मम कोऽपि समानधर्मा कालो हो निरवधिर्विपुला च पृथ्वी ॥ अर्थात् - समय भी निरवधि है और पृथ्वी भी बहुत बड़ी है सो मेरे समान धर्म अर्थात् समान विचार वाला कभी तो कोई कहीं पर मिलेगा ही । इसके अतिक्ति एक बात यह नगरों को मिलाकर एक प्रान्त बना की अवस्था मानों जेसी, और प्रामों है उसी प्रकार अनेक जातियों को भी है कि जिस प्रकार कई दिया जाता है तो चन नमरों की जंगलों जैसी हो जानी मिलाकर एक जाति बना

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