Book Title: Jain Dharm Prachintam Jivit Dharm Author(s): Jyotiprasad Jain Publisher: Dharmoday Sahitya Prakashan View full book textPage 3
________________ प्रकाशकीय जैनधर्म और दर्शन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अनादिकालीन है। इतिहासविदों ने उपलब्ध आधुनिक जानकारियों के आधार से जैनधर्म की प्राचीनता को सिद्ध किया है। जैनधर्म की ऐतिहासिकता के सम्बन्ध में कई भ्रामक तथ्यों का प्रचार होता रहा है। इन मिथ्या विचारों का प्रामाणिक निराकरण डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन ने अपनी लघु पुस्तिका “Jainism : The Oldest Living Religion” में किया है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ, बनारस से सन् 1951 एवं 1988 में इस कृति का प्रकाशन दो बार हो चुका है। इस पुस्तिका का हिन्दी भाषा में अनुवाद करके श्री पुलक गोयल ने जैन इतिहास को पुनः प्रचलित करने का प्रयास किया है। जैनदर्शन के प्रारम्भिक विद्यार्थियों से लेकर विद्यानुरागी विद्वत् समुदाय तक के लिए यह संग्रहणीय है। इस कृति को प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है। आशा है कि यह श्रम अपने उद्देश्यों में सफल होगा और युवा अनुवादक प्राच्य विद्याओं के अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान से समाज को लाभान्वित करते रहेंगे। प्रकाशकPage Navigation
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