Book Title: Jain Darshan Me Tattva Aur Gyan
Author(s): Sagarmal Jain, Ambikadutt Sharma, Pradipkumar Khare
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 689
________________ 24. श्री मणिनाथ मिश्र, जैन चम्पू काव्यों का समीक्षात्मक अध्ययन (का.हि.वि. वि. वाराणसी), 1997 25. श्रीमति कंचन सिंह, पार्वाभ्युदय महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन (का. हि.वि.वि. वाराणसी), 1997 26. साध्वी उदितप्रभाश्रीजी, जैनधर्म में ध्यान की विकास यात्रा (महावीर से महाप्रज्ञ तक), जैन विश्वभारती वि.वि.लाडनूँ (राज.) 27. साध्वी दर्शनकलाश्रीजी, जैन साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूँ (राज.) 28. साध्वी प्रियलताश्रीजी, जैनधर्म में त्रिविध आत्मा की अवधारणा, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 29. साध्वी प्रियवंदनाश्रीजी, जैनधर्म में समत्वयोग, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 30. श्रीमती विजयागोसावी (मुंबई), जैन योग और पातंजल योगसूत्र : एक अध्ययन, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 31. श्री रणवीरसिंह भदौरिया (ग्वालियर), गीता में प्रतिपादित विभिन्न योगों का तुलनात्मक अध्ययन, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर 32. साध्वी दिव्याजनाश्रीजी, संवेगरंगशाला : एक अध्ययन, जैन विश्वभारती वि. वि. लाडनूँ (राज.) 33. साध्वी मोक्षरत्नश्रीजी, आचारदिनकर में प्रतिपादित संस्कार और संस्कार विधि, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 34. साध्वी विचक्षणश्रीजी, विशेषावश्यक के गणधरवाद और निह्नववाद का समीक्षात्मक अध्ययन, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 35. साध्वी विजयश्रीजी, जैन श्रमणी संघ का अवदान, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूँ (राज.) 36. साध्वी स्थितप्रज्ञाश्रीजी, पिण्डनियुक्ति का समीक्षात्मक अध्ययन, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 37. साध्वी प्रीतिदर्शनाश्रीजी, आचार्य यशोविजयजी का आध्यात्मवाद, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 38. श्री प्रवीण जोशी, भारतीय चिन्तन में कर्त्तव्य और अधिकार की अवधारणा, विक्रम वि.वि. उज्जैन 39. श्री संजीव जैन, गणधरवाद का दार्शनिक अध्ययन, विक्रम वि.वि. उज्जैन 40. साध्वी प्रतिभाजी (प्रथम), जैन संघ को श्राविकाओं का अवदान, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 676 जैन दर्शन में तत्त्व और ज्ञान

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