Book Title: Jain Darshan Me Tattva Aur Gyan
Author(s): Sagarmal Jain, Ambikadutt Sharma, Pradipkumar Khare
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 687
________________ इसके अतिरिक्त म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह जी, बाबूलाल जी गौर और वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी ने भी आपको सम्मानित किया है । पदस्थापनाएँ 1. अध्यक्ष - कुमार साहित्य परिषद, शाजापुर 2. सचिव - हिन्दी साहित्य समिति, शाजापुर 3. सचिव - माधव रजत जयन्ती वाचनालय, शाजापुर 4. अध्यक्ष - अ.भा. स्थानकवासी युवक संघ, मध्यप्रदेश शाखा 5. अध्यक्ष - सद्विचार निकेतन, शाजापुर 6. कोषाध्यक्ष - अ.भा. दर्शन परिषद् 7. 8. व्याख्याता दर्शनशास्त्र - म.प्र. शासन शिक्षा सेवा सहायक प्राध्यापक - म.प्र. शासन, शिक्षा सेवा प्रोफेसर दर्शनशास्त्र - म.प्र. शासन, शिक्षा सेवा 9. 10. निदेशक, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी 11. मानद् निदेशक - आगम, अहिंसा, समता प्राकृत संस्थान, उदयपुर 12. संस्थापक निदेशक प्राध्य विद्यापीठ, शाजापुर 13. वरिष्ठ उपाध्यक्ष - अ.भा. दर्शन परिषद, डॉ. सागरमल जी जैन के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में शोधार्थियों द्वारा किए गए शोधकार्यों का विवरण -- 1. डॉ. भिखारीराम यादव, जैन तर्कशास्त्र के सप्तमंगीयनय की आधुनिक व्याख्या (का.हि.वि.वि. वारणसी), 1983 डॉ. अरूणप्रताप सिंह, जैन और बौद्ध भिक्षुणी संघ का उद्भव, विकास एवं स्थिति (का.हि.वि.वि. वाराणसी), 1983 डॉ. रविशंकर मिश्र, महाकवि कालिदासकृत मेघदूत और जैन कवि मेरूतुंगकृत जैन मेघदूत का साहित्यिक अध्ययन (का. हि. वि.वि. वाराणसी), 1983 महो. चन्द्रप्रभसागर, सयमसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्तव (हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा महोपाध्याय की पदवी हेतु ) का. हि. वि. वि. वाराणसी, 1986 2. 3. 4. 5. 6. 7. - 674 डॉ. रवीन्द्रनाथ मिश्र, जैन कर्म सिद्धान्त का ऐतिहासिक विश्लेषण ( का .हि. वि.वि. वाराणसी), 1986 डॉ. रमेशचन्द्र गुप्त, तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार की अवधारणाओं का तुलनात्मक अध्ययन (का.हि.वि.वि. वाराणसी), 1986 डॉ. कमलप्रभा जैन, प्राचीन जैन साहित्य में वर्णित आर्थिक जीवन : एक अध्ययन (का.हि.वि.वि. वाराणसी), 1986 जैन दर्शन में तत्त्व और ज्ञान

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