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5. जैन योग का आलोचनात्मक अध्ययन, पा.वि. वाराणसी, 1982 6. आनन्दघन का रहस्यवाद, पा.वि. वाराणसी, 1982 7. प्राकृत दीपिका, पा.वि. वाराणसी, 1982 8. जैनदर्शन में आत्मविचार, पा.वि. वाराणसी, 1984 9. खजुराहो के जैन मन्दिरों की मूर्तिकला, पा.वि. वाराणसी, 1984 10. जैनाचार्यों का अलंकार शास्त्र में अवदान, पा.वि. वाराणसी, 1984 11. वज्जालग्गं, पा.वि. वाराणसी, 1984 12. जैन और बौद्ध भिक्षुणी संघ, पा.वि. वाराणसी, 1986 13. आचारांगसूत्रः एक अध्ययन, पा.वि. वाराणसी, 1987 14. मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन, पा.वि. वाराणसी, 1987 15. तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार, पा.वि. वाराणसी, 1987 16. स्याद्वाद और सप्तभंगी, पा.वि. वाराणसी, 1988 17. संबोध सप्ततिका, पा.वि. वाराणसी, 1988 18. प्राचीन जैन साहित्य में आर्थिक जीवन, पा.वि. वाराणसी, 1988 19. जैन साहित्य के विविध आयाम, भाग-1, पा.वि. वाराणसी, 1989 20. जैन साहित्य के विविध आयाम, भाग-2, पा.वि. वाराणसी, 1989 21. जैन साहित्य के विविध आयाम, भाग-3, पा.वि. वाराणसी, 1990 22. जिनचन्द्रसूरि काव्यांजलि, पा.वि. वाराणसी, 1989 23. जैनधर्म की प्रमुख साध्वियां, पा.वि. वाराणसी, 1990 24. मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म, पा.वि. वाराणसी, 1992 25. जैन प्रतिमा विज्ञान, पा.वि. वाराणसी, 1985 26. जैनतीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन, पा.वि. वाराणसी, 1991 27. मानव जीवन और उसके मूल्य, पा.वि. वाराणसी, 1990 28. जैन मेघदूत, पा.वि. वाराणसी, 1989 29. जैनकर्म सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास, पा.वि. वाराणसी, 1993 30. Theory of Realty in Jaina Philosophy, PVRI, 1991 31. Concept of matter in Jaina Philosophy, PVRI, 1987 32. Jaina Epistemology, PVRI, 1990 33. The Concept of Panchasheel in Indian Thought, PVRI, 1983 34. The Path of Arhat, PVRI, 1993 35. Jaina Perspective in Philosophy & Religion, PVRI, 1983 36. Aspect of jainology, VOL, I, PVRI, 1987 37. Aspect of jainology, VOL, I, PVRI, 1987 सागरमल जीवनवृत्त
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