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146. समाधिमरणः एक तुलनात्मक विवचेन (212152), सागरमल जैन अभिनन्दन
ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 147. सम्राट अकबर और जैनधर्म (212166), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.
वि. वाराणसी 148. सदाचार के शाश्वत मानदण्ड और जैन धर्म (212181), सागरमल जैन
अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 149. साधना और सेवा का सहसम्बन्ध (212185), सागरमल जैन अभिनन्दन
ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 150. साधना और सेवा का सहसम्बन्ध (212185), सुमनमुनि प्रज्ञा महर्षि ग्रन्थ 151. सामाजिक समस्याओं के समाधान में जैन धर्म का योगदान (212194),
देशभूषणजी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ 152. स्त्री : अन्यतैर्थिक एवं सवस्त्र की मुक्ति का प्रश्न (212225), सागरमल जैन
अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 153. स्याद्वाद और सप्तभंगी : एक चिन्तन (212228), सागरमल जैन अभिनन्दन
ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 154. हरिभद्र के दर्शन के क्रान्तिकारी तत्त्व, श्रमण, अक्टूबर 1986 155. हरिभद्र की क्रान्तिकारी दृष्टि और धूर्ताख्यान, श्रमण, फरवरी 1987 156. हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूलस्रोत, श्रमण, फरवरी 1987 157. जैनधर्म दर्शन का सत्व (229110), सागर जैन विद्या भारती, भाग-1 (001684) 158. महावीर का जीवन और दर्शन (229111), सागर जैन विद्या भारती, भाग-1
(001684) 159. जैन धर्म में भक्ति की अवधारणा (229112), सागर जैन विद्या भारती, भाग-1
(001684) 160. जैन धर्म में स्वाध्याय का अर्थ एवं स्नान (229113), सागर जैन विद्या भारती,
भाग-1 (001684) 161. जैन साधना में ध्यान (229114), सागर जैन विद्या भारती, भाग-1 (001684) 162. अर्द्धमागधी आगम साहित्य में समाधिमरण की अवधारणा (229115), सागर
जैन विद्या भारती, भाग-1 (001684) 163. जैन कर्म सिद्धान्त (229116), सागर जैन विद्या भारती, भाग-1 (001684) 164. भारतीय संस्कृति का समन्वित स्वरूप (229117), सागर जैन विद्या भारती,
भाग-1 (001684) 165. पर्यावरण के प्रदूषण की समस्या और जैन धर्म (229118), सागर जैन विद्या
भारती, भाग-1 (001684) सागरमल जीवनवृत्त
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