Book Title: Jain Darshan Me Tattva Aur Gyan
Author(s): Sagarmal Jain, Ambikadutt Sharma, Pradipkumar Khare
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 691
________________ साध्वी कनकप्रभाश्रीजी, पंचाशक प्रकरण : एक अध्ययन, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूँ (राज.) 4. साध्वी सम्यक्प्रभाश्री, जैनदर्शन में षडावश्यक : एक विवेचन, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूँ (राज.) 5. साध्वी स्नेहांजनाश्री, द्रव्य गुणपर्यायनो रास, जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूँ (राज.) 6. साध्वी श्रद्धांजनाश्री, ध्यानशतक (टीकासहित), विक्रम वि.वि. उज्जैन का.हि.वि.वि.एम.ए. दर्शन (अन्तिम वर्ष) की परीक्षा हेतु प्रस्तुत लघु शोध-प्रबन्धों की सूची उदयप्रताप सिंह, जैनधर्म में समाधिमरण, 1979-80 3. 1. 2. अवधेश कुमार सिंह, द सिस्टम आव वैल्यूज इन जैन फिलासफी, 1979-80 कृष्णकान्त कुमार, जैनधर्म के सम्प्रदाय, 1980 3. 4. ताड़केश्वर नाथ, जैनधर्म में मोक्ष एवं मोक्षमार्ग, 1980 5. रामाश्रयसिंह यादव, जैन कर्म सिद्धान्त, 1980 6. सतीशचन्द्र सिंह, जैनदर्शन में प्रमाण, 1980-81 7. शिवपरसन सिंह, आचार्य कुन्दकुन्द के दर्शन में आत्मा का स्वरूप, 1980-81 8. अशोककुमार, उपासकदशांग के अनुसार श्रावक धर्म, 1980-81 वीरेन्द्र कुमार, जैनदर्शन में जीवन की अवधारणा, 1980-81 9. 10. त्रिवेणीप्रसाद सिंह, रत्नकरण्ड श्रावकाचार के अनुसार गृहस्थ धर्म, 1981 11. मुकुलराज मेहता, जैनधर्म में आध्यात्मिक विकासः एक तुल. विवेचन, 1981 प्रो. सागरमल जैन कृतित्व 1. जैन, बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन भाग-1, 2. 3. 1982 जैन बौद्ध और गीता का साधना मार्ग, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर, 1982 5. जैनकर्म सिद्धान्त का तुलनात्मक अध्ययन, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, 4. 6. राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर एवं प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर, 1982 जैन बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, भाग-2, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर एवं प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर, 1982 जैन बौद्ध और गीता का समाजदर्शन, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर 678 जयपुर, 1982 धर्म का मर्म, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी, 1986, प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (द्वितीय एवं तृतीय संस्करण) जैन दर्शन में तत्त्व और ज्ञान

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