Book Title: Jago Mere Parth
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 10
________________ गीता का पुनर्जन्म आज हम एक ऐसे नव्य और भव्य शिखर की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जहाँ से सुख, शांति और समृद्धि की हवाएँ सारे विश्व तक पहुँच रही हैं । यों तो धरती पर शिखरों के नाम पर हजारों शिखर हैं, किन्तु हम जिस शिखर की चर्चा कर रहे हैं, उसकी तुलना केवल उसी से की जा सकती है। हिमाच्छादित गौरीशंकर शिखरों का वह शिखर है, जहाँ सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् का संगान है, जहाँ से सत्य की ऋचाएँ शिवम् के मंत्र और सौन्दर्य की कला सारे संसार को उपलब्ध हई है। गौरीशंकर का आनन्द, उसका वैभव अप्रतिम, अनुपम और अनूठा है। गीता संसार का वह गौरीशंकर है, जिसने शताब्दियों तक मनुष्य को अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत और अपनी आत्म-विजय के लिए सन्नद्ध रहने की प्रेरणा दी है, इसलिए गीता का मार्ग योद्धाओं का मार्ग है । यह उन अर्जुनों का मार्ग है, जिनसे न केवल महाभारत का, वरन् सारे विश्व का सम्बन्ध है । गौरीशंकर की तरह गीता का भी कोई सानी नहीं है । गीता मानवीय शास्त्रों की कुंजी है। यदि पिटकों का सत्य ढूँढना हो, तो वह गीता में मिल जाएगा। आगम-सिद्धान्त भी गीता में प्रतिपादित हैं। वेद और उपनिषद का नवनीत भी गीता में आत्मसात् हुआ नजर आएगा। जिस तरह गौरीशंकर में सारे शिखर आकर मिल जाते हैं, उसी तरह गीता में मनुष्य और मनुष्य से जुड़ा सारा उपदेश गीता का पुनर्जन्म | 1 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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