Book Title: Jago Mere Parth Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 8
________________ अनुक्रम 11 23 39 1. गीता का पुनर्जन्म 2. चुनौती का सामना 3. कर्मयोग का आह्वान 4. मुक्ति का माधुर्य 5. अनासक्ति का विज्ञान 6. निज से मंगल मैत्री 7. मुझमें है भगवान् 8. ॐ : मंत्रों की आत्मा 9. योगक्षेमं वहाम्यहम् 10. भीतर बैठा देवता 11. समर्पण ही चाहिए 12. मन में, मन के पार 13. हों निर्लिप्त, ज्यों आकाश 80 91 103 118 128 138 151 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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