Book Title: Indian Society for Buddhist Studies
Author(s): Prachya Vidyapeeth
Publisher: Prachya Vidyapeeth

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Page 31
________________ (16) अकारान्त आदि शब्दों में भी पालि व प्राकृत भाषा में विभेद मिलते है, किन्तु कुछ विभक्तियों के प्रत्यय सामान भी है। ठीक इसी प्रकार क्रिया काल के प्रत्ययों में कही कही समरूपता के साथ विषमता देखने को भी मिलती है एक विशेष विभेद यह है कि पालि में 'ळ' वर्ण मिलता है, जो मराठी भाषा में प्रयोग किया जाता है यह शब्द न संस्कृत और न ही प्राकृत में है। उपर्युक्त विषय की विस्तार से चर्चा पूर्ण लेख की जावेगी। ***** वर्तमान जीवन में ब्रह्मविहार का महत्त्व अजय कुमार मौर्य, वाराणसी मानव को अपने जीवन में ज्यादातर व्यक्तिगत समस्याओं के कारण जूझना पड़ता है। इसी व्यक्तिगत समस्याओं के कारण मानव जीवन में सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, साहित्य और पर्यावरणीय . समस्याएँ उत्पन्न होती है। ये समस्याएँ इतनी विकराल होती है कि जिसके कारण प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सभी लोग प्रभावित हो जाते हैं। इन्ही सभी समस्याओं के कारण मानव सुख का अनुभव नहीं कर पाता है। समस्याओं की बहुलता के कारण व्यक्ति का जीवन निरर्थक हो जाता है। मानव जीवन को इन समस्याओं से मुक्ति हेतु विभिन्न प्रकार के प्रयास किये जाते है, परन्तु ये समस्याएँ स्थायी रूप से समाप्त नहीं होती है। यदि मानव जीवन को इन समस्याओं से मुक्ति पाना है तो इसके लिए शास्ता द्वारा प्रतिपादित ब्रह्मविहार के अनुशीलन से श्रेष्ठ कोई स्थायी उपाय अन्यत्र कहीं नहीं है। ___ ब्रह्मविहार के अनुशीलन से मनुष्य की तृष्णा (इच्छा) का नाश जाता है और जब तृष्णा का नाश हो जाता है तो मनुष्य के अन्दर कुशल कर्म का आविर्भाव हो जाता है। तब व्यक्ति कुशल कर्मो को करते हुए सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करता है और दूसरों को भी कुशल कर्म करने के लिए प्रेरित करता है ताकि वे लोग भी सुखपूर्वक जीवन यापन कर सकें। इसके अनुशीलन से व्यक्ति के चित्त में

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