Book Title: Indian Society for Buddhist Studies
Author(s): Prachya Vidyapeeth
Publisher: Prachya Vidyapeeth

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Page 38
________________ (23) इन्हीं के शासन काल में श्रीलंका में प्रथम चैत्य का निर्माण करवाया गया। राजा देवनामंपिय तिस्स ने अपने शासनकाल मे श्रीलंका में स्थापत्य एंव मूर्ति कला का विकास किया। उदाहरणस्वरूप चैत्य गिरि विहार, जम्बूल विहार, थूपराम, पठामक, वेस्सागिरी आदि। इसके अतिरिक्त श्रीलंका मे राजा दुट्ठगामणि एवं राजा वट्ठगमणि का भी अतुल्यनीय योगदान रहा है। राजा दुट्ठगामणि ने अपने शासनकाल के प्रारंभिक चरण में ऐलारा' नामक शासक को हराकर श्रीलंका पर अपना आधिपत्य स्थापित किया एव अनुराधापुर को अपनी राजधानी घोषित किया। अपने 24 वर्षों के शासनकाल के दौरान इन्होंने बौद्ध धर्म को राष्ट्रीय धर्म घोषित कर दिया। तथा भव्य ‘लौहापासाद' एंव ‘रूवनवेल्ली' सया नामक स्तूप का निर्माण करवाया। राजा वट्ठगामणि ने अपने शासनकाल में सम्पूर्ण त्रिपिटक को लिखित रूप में प्रदान किया। तथा अभयगिरि नामक विहार का निर्माण करवाया। ***** सम्राट अशोक की धम्म नीति एवं धर्मनिरपेक्ष भारत की कल्पनाः एक समीक्षात्मक अवलोकन रचना, दिल्ली अशोक का धम्म सभी धर्मों का सार था उस पर सभी धर्मों का प्रभाव था संसार को वह अमर मानता था उसकी उदारता इतनी सार्वभौम थी कि उसने कभी अपना व्यक्तिगत घार्मिक विचार जनता पर लादने का प्रयत्न नहीं किया। जिस धम्म का रूप इस संसार के सामने रखा, वह प्रमाणतः सारे धर्मों का सार हैं कर्तव्य की नितांत असंकुचित व्याख्या तथा सार्वभौम धर्म के सर्वप्रथम निरूपण का श्रेय अशोक को ही देना होगा। अशोक अपने विचारों में अपने समय से बहुत आगे था उसका धम्म' अनेक सुधारवादी आंदोलनों की पृष्ठभूमि प्रस्तुत करता है। अशोक का धम्म मानवोचित या समाजोचित था उसके दो पहलू थे व्यावहारिक और सैद्धांतिक व्यावहारिक। अशोक की नीति के मूल पृष्ठाहार थे-क्षमानीति, अहिंसा, अनुशासन, धर्मयात्रा, दौरा, समदृष्टि, धम्म

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