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हिन्दी के नाटककार और असुन्दर को राख कर देने के लिए बेताबी से लपलपाती ज्वाला की लपटें हैं। ___ गांधी-युग के साहित्य में प्रेमी' की रचनाओं का विशिष्ट स्थान है। हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को इतिहास-सम्मत साहित्यिक प्रेरणा देने में प्रेमी' के नाटकों का कार्य किसी भी राष्ट्रीय नेता से कम नहीं । साहित्य की वाणी कभी मूक नहीं होती, नेताओं की भौतिक वाणी मूक हो जाती है। भारतीय राष्ट्रीय एकता और सबलता के लिए हमें प्रेमी' के नाटक सदा मार्ग दिखाते रहेंगे।
रचनाओं का काल-क्रम
स्वर्ण-विहान पाताल-विजय रक्षा-बन्धन शिवा-साधना प्रतिशोध आहुति स्वप्न भंग छाया बन्धन मंदिर (एकांकी)
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मित्र
१९४१ १९४२ १६४५ १९४१
विष-पान उद्धार
शपथ
प्रेरणा की पृष्ठभूमि जब प्रेमी' की लेखनी कला-सृजन के लिए सजग हुई श्रत भारतीय महान् राष्ट्र दासता की शृङ्खला तोड़ने के लिए संघर्ष कर रहा था। उसकी कल्पना ने ज्यों ही जीवन के रंग पहचानने की चेष्टा की, उसने देखा देश के दीवाने सिर पर कफन बाँधकर खून की रंगीनी से राष्ट्र के आँगन में बलिदान के महान् यज्ञ के लिए चौक पूर रहे हैं । देश का अाकाश राष्ट्रीय अान्दोलन के उमंग-भरे कोलाहल से गूंज रहा है । गाँधी जी के नेतृत्व में भारत का दूढ़ा और