Book Title: Hindi Natakkar
Author(s): Jaynath
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 255
________________ हिन्दी के नाटककार होता' और 'मारे प्रेम के भूख लगने लगती है' व्यंग्य के छींटे भी इसमें मिलेंगे। अभिनय कला और रसानुभूति दोनों ही दृष्टियों से 'महात्मा ईसा' एक सुन्दर और सफल रचना है । कहानी में सम्बन्ध-निर्वाह मिलेगा। नाटक में गतिशीलता और आकस्मिकता भी पाई जाती है। संवाद बड़े सजीव और सशक्त हैं । स्वगत का व्यवहार बहुत ही कम स्थलों पर किया गया है । नाटक में उछल-कूद, चीखना-चिल जाना नहीं पाया जाता। जिस युग में यह नाटक लिखा गया, वह युग पारसी-कम्पनियों का था। उनके प्रभाव से लेखक बहुत कुछ बचा है; गीतों आदि में उनका प्रभाव स्पष्ट है। ____ 'महात्मा ईसा' पर चारित्रिक दृष्टि से भारतीय संस्कृति और गांधीवाद का प्रभाव है ही, अपने युग की देश-भक्ति और राष्ट्रीय चेतना के रङ्ग भी जहाँतहाँ भरे मिलते हैं । "मेरा पुत्र स्वदेश पर बलिदान चढ़ने के लिए तैयार हो रहा है। कैसा गौरवमय संवाद है मरियम सोचो तो।" ---जोसेफ ागर के ये वचन राष्ट्रीय चेतना के ही प्रतीक हैं। "स्वाधीन हमारी माता है।" "हे प्राण प्यारा सुदेश हमारा ।" "जय उदार,सृष्टि-सार स्वर्ग-द्वार देश । पुण्यमय स्वदेश।" आदि गीतों से हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन का उत्साह और उल्लास भरा रूप प्रकट होता है। "प्रेम की माला हो संसार। देखा प्रेममय संसार ।" उपर्युक्त गीतों से हिन्दू-मुस्लिम एकता का परिचय तो मिलता ही है, गांधीजी का विश्व-प्रेम भी छलका पड़ता है। _ 'गंगा का बेटा' में भीष्म-प्रतिज्ञा की कथा है। नाटक पौराणिक है। यद्यपि यह अठारह वर्ष बाद लिखा गया है, फिर भी इसमें उल्लेखनीय कोई बात नहीं । 'चार बेचारे' उग्रजी के चार प्रहसनों का अच्छा संग्रह है। इसमें हास्य और व्यंग्य का मसाला पर्याप्त मात्रा में है। जगन्नाथप्रसाद 'मिलिन्द' ___ मिलिन्द' जी का प्रथम ऐतिहासिक नाटक 'प्रताप-प्रतिज्ञा' १६२८ ई. में प्रकाशित हुआ था । इस नाटक से 'मिलिन्द' जी एक प्रतिभाशाली नाटक

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