Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Sankshipta Itihas
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ ( १० ) शताब्दि की भाषा के बाद का है। जैन साहित्य में छोटे बड़े सैकड़ों रासा ग्रन्थ सुरक्षित हैं और भाषा की दृष्टि से वे साहित्य के इतिहास के लिए महत्त्वपूर्ण कहे जा सकते हैं। जैसा ऊपर निर्देश किया गया है जैन साहित्य में हिन्दी काव्य-शैली के अंकुर निहित हैं। दसवीं शताब्दि में पुष्पदन्त कविके द्वारा यशोधरचरित्र और नागकुमारचरित्र दो चरित-काव्यों का अपभ्रंश भाषा में निर्माण हुआ । इन चरित-काव्यों की परम्परा में ही आगे चल कर गोस्वामी जी ने राम चरितमानस का निर्माण किया । कहीं-कहीं तो साम्य विलक्षण है । रामायण के श्रारम्भ में सज्जनों और दुर्जनों के स्वभाव का जो वर्णन है, वह प्राचीन कविसमय की एक मान्य परिपाटी के अनुसार ही है । पुष्पदन्त और धनपाल ने भी अपने काव्यों के प्रारम्भ में दुष्ट और सज्जन स्वभावों का वर्णन किया है जो बहुत कुछ गोस्वामी जी के वर्णन से मिलता है । तुलनात्मक अध्ययन से यह प्रभाव कई दिशाओं में पूरी तरह जाना जा सकता है। पुस्तक में जैन गद्य साहित्य की ओर भी उचित ध्यान आकर्षित किया है। इनमें श्री रामरच्छ कृत 'प्रद्युम्नचरित' और 'मृतामेणसी की ख्यात' उल्लेखनीय हैं । दूसरे ग्रन्थ का परिचय तो हिन्दी जगत् को पहिले भी मिल चुका है, किन्तु प्रद्युम्नचरित जिसकी एक प्राचीन प्रति (सं० १६६८ की लिखी हुई ) जैनमन्दिर दिल्ली के शास्त्र भण्डार में सुरक्षित हे शीघ्र प्रकाश में आना चाहिए । आशा है, हिन्दी साहित्य के इतिहास की इस नवीन सामग्री की ओर हिन्दी जगत् उचित ध्यान देगा । विशेषकर साहित्य का इतिहास लिखने वाले विद्वान् यदि श्रालोचना- प्रधान दृष्टि से इस पर विचार करेंगे तो हिन्दी का बहुत उपकार होगा । २०-११-४६ } - वासुदेवशरण अग्रवाल

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 301