Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 568
________________ पं० हेमराज ५५१ तुम जस जपत जन छिन मांहि, जनम जनम के पाप नसा हिं । ज्यौं रवि उगे फटै ततकाल, अलिवत नील निशातम जाल । गुरुपूजा- इसमें अष्ट द्रव्यपूजा और जयमाल है । यह पंडित पन्नालाल बाकलीवाल द्वारा संपादित वृहज्जिन वाणी संग्रह में संकलित है । पंचपरमेष्ठी की पूजा में कवि ने लिखा है एक दया पालें मुनि राजा, रागद्वेष है हरनपरं, तीनों लोक प्रगट सब देखें, चारों आराधन निकरं । पंच महाव्रत दुद्धर धारें, छहों दरब जानें सुहितं, सात भंगवानी मन लावैं, पावैं आठ ऋद्धि उचितं । नेमि राजमती जखड़ी का अंतिम भाग इस प्रकार हैतीस दिन अरु, निराधार जी । हेम भणे जीन जानिये । ते पावे भव पार जी । आपने रोहिणी व्रतकथा भी लिखी है । द्रव्यसंग्रह भाषा का रचनाकाल सं० १७१९ बताया गया है । नयचक्ररास नहीं बल्कि हिन्दी गद्य में लिखित वचनिका है । इसका रचनाकाल सं० १७२६ फाल्गुन शुक्ल १० बताया गया है, यथासतरह से छवीस को संवत फागुण मास, उजली तिथि दसमी जहां, कीनो वचन विलास । हेमराज की वीनति सुनियो सुकवि सुजांन, यह भाषा नयचक्र की रची सुबुद्धि उनमांन । यह वचनिका पं० नरायणदास के उपदेश से कवि ने पूर्ण की थी । ' इति श्री नयचक्र की पं० नारायणदास उपदेशेन शिष्य हेमराज कृत सामान्य वचनिका संपूर्ण ।' afa बुलाकीदास ने पाण्डव पुराण (वि० सं० १७५४ ) में लिखा है कि उनकी माता जैनी (जैनुलदे) पाण्डे हेमराज की पुत्री थी । हेमराज १. प्रेमसागर जैन - हिन्दी जैन भक्तिकाव्य और कवि, पृ० २१४-२१९ । २. कस्तूरचन्द कासलीवाल - जैनशास्त्रभंडार की ग्रंथसूची, भाग ४ । ३. मोहनलाल दलीचन्द देसाई - जैन गुर्जर कवियो, भाग ४, पृ० ३६८-३६९ ८ २, पृ० १९५६ ( न० सं० ) और वही भाग २, पृ० २४६ तथा भाग ( प्र०सं० ) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618