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प्रत विशेष - पत्र २७मुं डबल छे.
कुल झ. पृष्ठ- १९४
अभिधानचिन्तामणिनाममाला (सं.) व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका (व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका)
कृति उपरथी प्रत माहिती
गणि देवसागर | आञ्चलिक), सं., गद्य,
पाकाहेम १३०५१, पृ. ४८१ अभिधानचिन्तामणिनाममाला व्युत्पत्तिरत्नाकर टीकासह, वि-१८०२, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३२२
पाकाहेम १३९४०, पृ. ११५, व्युत्पत्तिरत्नाकर, वि - १८०९, संपूर्ण
प्रत विशेष- पत्र - ५७+५८=११५
कुल झ. पृष्ठ-७७
अभिधानचिन्तामणिनाममाला - (सं.) टिप्पण
सं., गद्य,
अताका ४८६- पे.क्र. १, पृ. १७A - ८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण पे. नाम- अभिधानचिन्तामणिनाममाला सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. पत्रांक- १-१७ पर कोई अन्य कृति होनी चाहिये जो इस प्रत में नहीं है..
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प्रत विशेष पृष्ठ माहिती नथी. ( जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र ५४ लिखा हुआ है। परन्तु कुल ५३ पत्र ही है.
कुल झे. पृष्ठ - ५४, डीवीडी - १०३/१०४
पाकाहेम १०२१२, पृ. ५७, अभिधानचिन्तामणि टिप्पणीसह पञ्चपाठ, संपूर्ण
कुल झ. पृष्ठ-५८ झे
अभिधानचिन्तामणिनाममाला- (सं.) अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट ( अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट)
सं. पयअध्याय६ कांड आदि वाक्य निर्वाणे स्याच्छीतीभावः......
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अताका ४७७- पे. क्र. १ पृ. ८६A ९२B अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२) संपूर्ण
पे. नाग- अभिधानचिन्तामणि शेषनाममाला, पे. विशेष पूर्ण प्रारंभिक ४ गाथाएँ नहीं है. प्रतिलेखन वर्ष
१३८७. ग्रन्थ का अंतिम भाग व प्रतिलेखन पुष्पिका अक्षर घिसे व उखड़े होने से अवाच्य है.
प्रत विशेष पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है.
कुल झे. पृष्ठ ६५, डीवीडी - १०३/१०४
अताका ४८६- पे.क्र. २, पृ. ८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण
पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभिक मात्र ४ श्लोक हैं.
प्रत विशेष - पृष्ठ माहिती नथी. ( जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र - ५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है.
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कुल झे. पृष्ठ - ५४, डीवीडी - १०३/१०४
अभिधानचिन्तामणिनाममाला- (सं.) अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट ( अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट)
सं., पद्यअध्याय६ कांड, आदि वाक्यः निर्वाणे स्याच्छीतीभावः...
अताका ४७५ पे. क्र. १, पृ. ८६-२२B अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण
पे नाम अभिधानचिन्तामणि शेषनाममाला, पे. विशेष पूर्ण प्रारंभिक ४ गाथाएँ नहीं है. प्रतिलेखन वर्ष१३८७. ग्रन्थ का अंतिम भाग व प्रतिलेखन पुष्पिका अक्षर घिसे व उखड़े होने से अवाच्य है.
प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है..
कुल झे. पृष्ठ-६५, डीवीडी - १०३/१०४
अताका ४८६- पे.क्र. २, पृ. ८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओं (भाग-१), अपूर्ण
पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभिक मात्र ४ श्लोक हैं.
प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. ( जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र - ५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है.
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