Book Title: Guru Shishya
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 9
________________ प्रश्नों के संपूर्ण समाधान देनेवाले प्रत्युत्तर संपूज्य दादाश्री के श्रीमुख से निकली हुई वाणी द्वारा मिलते हैं ! सामान्य समझ में गुरु, सद्गुरु और ज्ञानीपुरुष तीनों को एक-दूसरे के साथ मिला दिया जाता है । जब कि यहाँ पर इन तीनों के बीच का एक्ज़ेक्ट स्पष्टीकरण मिलता है । अध्यात्म का मार्ग मार्गदर्शक के बिना कैसे कटेगा? वह मार्गदर्शक अर्थात् कि गाइड यानी... मोक्ष मार्गस्य नेत्तारं भेत्तारं सर्व कर्माणाम् ज्ञातारम् सर्व तत्वानाम् तस्मै श्री सद्गुरु नमः इतने से ही मोक्ष मार्ग के नेता, गुरु कैसे होने चाहिए, वह समझ में आता है। गुरु और शिष्य दोनों कल्याण के मार्ग पर प्रयाण कर सकें, उसके लिए तमाम दृष्टिकोणों से गुरु-शिष्य के अन्योन्य संबंधों की समझ, लघुत्तम फिर भी अभेद, ऐसे गज़ब के पद में बरतनेवाले 'ज्ञानीपुरुष' की वाणी द्वारा प्रकाशमान हुई, वह यहाँ पर संकलित हुई है, जो मोक्षमार्ग पर चलनेवाले पथिक के लिए मार्गदर्शक (गुरु) बन पड़ेगी । し - डॉ. नीरूबेन अमीन —

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