Book Title: Geeta Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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41. कर्मणो ह्यपि [ ( कर्मणः) + (हि) + (अपि)] ( कर्मणः कर्मन् ) 6/1.
हि ( अ ) = क्योंकि . अपि (अ) – भी. बोद्धव्यं बोद्धव्यं च [(बोद्धव्यम्) + (बोद्धव्यम्) + (च)] बोद्धव्यम् (बुध् + बोद्धव्य) विधि कृ 1 / 1. बोद्धव्यम् (बुध+बोद्धव्य ) विधि कृ 1 / 1. च ( प्र ) - और विकर्मरणः ( विकर्मन् ) 6/1 अकर्मणश्च [ ( अकर्मणः) + (च)] अकर्मण: (प्रकर्मन् ) 6/1. च (अ) = और. बोद्धव्यं गहना [ ( बोद्धव्यम्) + (गहना) ] स्त्री
बोद्धव्यम् (बुध→ बोद्धव्य ) विधि कृ 1 / 1. गहना ( गहन + गहना ) 1 / 1 वि. कर्मणो गतिः [ ( कर्मणः ) + (गतिः) ] कर्मण: (कर्मन् ) 6 / 1. गतिः (गति) 1 / 1.
42. कर्मण्यकर्म [ ( कर्मणि) + (अकर्म ) ] कर्मरिण (कर्मन् ) 7/1. अकर्म ( अकर्मन् ) 2 / 1 य: (यत्) 1 / 1 सवि. पश्येदकर्मरिण [ ( पश्येत्) + (करण ) ] पश्येत् (श्) विधि 3 / 1 सक. अकर्मरिण (प्रकर्मन् ) 7/1. च ( अ ) = श्रौर कर्म (कर्मन् ) 2 / 1 य: (यत्) 1/1 सवि स बुद्धिमान्मनुष्येषु [ (सः) + (बुद्धिमान्) + (मनुष्येषु ) ] सः (तत्) 1 / 1 सवि. बुद्धिमान् (बुद्धिमत् ) 1 / 1 वि. मनुष्येषु (मनुष्य) 7/3. स युक्तः [ (सः) + ( युक्तः ) ] सः (तत्) 1 / 1 सवि. युक्त: (युक्त) 1/1. कृत्स्नकर्मकृत् [(कृत्स्न) वि - (कर्मन् कर्म ) - (कृत् 2 ) 1 / 1 वि]
43. यस्य (यत्) 6 / 1 सर्वे (सर्व) 1 / 3 वि समारम्भाः ( समारम्भ) 1/3 कामसंकल्पवजिताः [[ (काम) – (संकल्प) – (वृज् + वर्जित) भूकृ
1 / 3] वि] ज्ञानाग्निदग्धकर्माणं तमाहुः पण्डितं बुधा [ (ज्ञान) + (अग्नि) + (दरघ) + (कर्मारणम्) + (तम्) + (प्राहु:) + (पण्डितम् )
1.
कृत् (वि) : समास के अन्त में प्रयुक्त होता है ।
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