Book Title: Geeta Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
View full book text
________________
·
निरन्तर प्रात्मानम् (ग्रात्मन् ) 2 / 1 रहसि ( रहस् ) 7/1 स्थितः (स्था स्थित ) भूकृ 1 / 1 एकाकी (एकाकिन् ) 1 / 1 वि यतचित्तात्मा [ ( यत) + (चित) + ( आत्मा ) ] [ [ ( यम्+ यत) भूकृ - (चित्त) - (आत्मन् ) 1 / 1 ] वि. ] निराशीरपरिवहः [ ( निराशीः) + (अपरिग्रहः ) ] निराशी : ( निराशिष्) 1 / 1 वि. अपरिग्रह: ( प्रपरिग्रह) 1 / 1 बि.
-X
73. समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिरः [ ( समम्) + (कायाशिरोग्रीवम् ) + (घारयन्) + (प्रचलम् ) + (स्थिरः ) ] समम् (घ) : 1 = एक ही साथ. कायाशिरोग्रीवम् [ ( काय ) + (शिरस् ) + (ग्रीवम् ) [ ( काय ) - ( शिरस् ) - (ग्रीव) 2 / 1] धारयन् (षु धारयत्) वकृ 1 / 1. अचलम् ( प्र ) = व्यवस्थित रूप से स्थिर: (स्थिर) 1 / 1 वि. संप्रेक्ष्य (संप्र - ईक्ष् → संप्रेक्ष्य ) पूकृ. नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन् [ ( नासिका) + (अग्रम्) + (स्वम्) + (दिश:) + (च) + अनवलोकयन् ) ] [ ( नासिका)
- (अग्र ) 2/1] स्वम् (स्व) 2 / 1 वि. दिश: ( दिश) 2 / 3. च ( अ ) = और. नवलोकयन् (ग्रन् - श्रव-लोक् + अनवलोकयत्) वकृ 1 / 1 74. प्रशान्तात्मा [ ( प्रशान्त ) + (ग्रात्मा ) ] [ ( प्र - शम्+ प्रशान्त) भूकृ(ग्रात्मन्) 1 / 1 ] विगतभीमं ह्मचारिव्रते [ ( विगतभीः ) - ( ब्रह्मचारिव्रते ) ] विगतभीः ( विगतभी) 1 / 1 विं. ब्रह्मचारिव्रते [ ( ब्रह्मचारिन्→ ब्रह्मचारि ) - (व्रत) 7/1] स्थितः (स्था + स्थित ) भूकृ 1 / 1 मनः ( मनस) 2 / 1 संयम्य ( संयम् संयम्य) पूक मच्चितो युक्त प्रासीत [ ( मच्चित्तः) + ( युक्तः ) + ( प्रासीत ) ] मन्चित्त: ( मच्चित्त) 1 / 1 वि. युक्तः (युक्त) 1 / 1. प्रासीत ( प्रास्) प्रक. मत्परः ( मत्परः) 1 / 1 वि
विधि 3 / 1
न
75. नात्यश्नतस्तु [ (न) + (प्रति ) + ( प्रश्नतः) + (तु) ] प्रति (अ ) = बहुत प्रश्नत: ( प्रश्नत् ) 6 / 1 वि. तु
चयनिका
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
(
प्र ) = नहीं
(प्र) = तो.
[ 91
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178