Book Title: Geeta Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 140
________________ त्यक्त्वा (त्यज्) पूकृ. सर्वानशेषतः [(सर्वान्) + (अशेषतः)] सर्वान् (सर्व) 2/3 वि. अशेषतः (म)=पूर्णतया. मनसैवेन्द्रियग्रामं विनियम्य [(मनसा)+ (एव) + (इन्द्रियग्रामम्) + (विनियम्य)] मनसा (मनस्) 3/1. एव (प्र)=ही. इन्द्रियग्रामम् (इन्द्रियग्राम) 2/1. विनियम्य (विनि-यम्) पूकृ. समन्ततः (अ) पूर्णतया. 84. शनैः शनरूपरमेया [ (शनः) + (शनैः) +(उपरमेत्) + (बुढ्या )] शनैः शनैः (अ)= धीरे धीरे उपरमेत (उप-रम्) विधि 3/1 प्रक. स्त्री बुद्धया (बुद्धि) 3/1. धृतिगृहीतया [ (धृति)-(ग्रह-+गृहीत+गृहीता). भूक 3/1] मात्मसंस्थं मनः [(प्रात्मसंस्थम्)+(मनः)] प्रात्मसंस्थम् [(मात्मन्+यात्म)-(संस्थ) 2/1 वि]. मनः (मनस्) 2/1. कृत्वा (कृ) पूकृ. न (अ)=नहीं किंचिदपि [ (किंचित्) + (अपि)] किंचित (किम् + चित्) 1/1 सवि. अपि (प्र) =भी. चिन्तयेत् (चिन्त) विधि 3/1. सक. 85. यतो यतो निश्चरति [(यतः) + (यतः) + (निश्चरति)] यतः यतः (अ) =जिस जिस कारण से. निश्चरति (निश्चर्) व 3/1 सक. मनश्चञ्चलमस्थिरम् [(मनः) + (चञ्चलम्) + (अस्थिरम्)] मनः (मनस्) 1/1 चञ्चलम् (चञ्चल) 1/1 वि. अस्थिरम् (अस्थिर)1/1 वि. ततस्ततो नियम्यैतवात्मन्येव [(ततः) + (ततः) + (नियम्य) + (एतत्) + (आत्मनि) + (एव)] ततः ततः (म)= उस उस जगह से. नियम्य (नि-यम्) पूकृ. [(एतत्)-(प्रात्मन्) 7/1] एव (म)=ही.. वशं नयेत् (वशं नी) विधि 3/1 सक. 2. किम् तथा किम् से उत्पन्न अन्य शब्दों में जुड़नेवाला अपय जिससे पर्थ में प्रनिश्चयात्मकता प्राती है। चयनिका 95 ] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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