Book Title: Geeta Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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113. पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे [(पत्रम्) + (पुष्पम्) + (फलम्) + (तोयम्)
+ (यः) + (मे)] पत्रम् (पत्र) 2/1. पुष्पम् (पुष्प) 2/1. फलम् (फल) 2/1. तोयम् (तोय) 2/1. यः (यत्) 1/1 सवि. मे (अस्मद्) 4/1. भक्त्या (क्रिविन)== भक्तिपूर्वक प्रयच्छति (प्र-दाण्य च्छ) व 3/1 सक तवहं भक्त्युपहतमश्नामि [(तत्) + (महम्) + (भक्ति) + (उपहृतम्) + (प्रश्नामि)] तत् (तत्) 2/1 स. अहम् (अस्मद्) 1/1 स. [(भक्ति)-(उप-ह-+उपहृत) भूक 2/1] प्रश्नामि (प्रश्) व 1/1 सक. प्रयतात्मनः [(प्रयस) + (प्रात्मनः)][(प्र—यम् -+प्रयत) भूकृ—(प्रात्मन्) 6/1].
114. यत्करोषि [(यत्) + (करोषि)] यत् (यत्) 2/1 सवि. करोषि (क)
व 2/1 सक. यदश्नासि [(यत्) + (प्रश्नासि)] यत् (यत्) 2/1 सवि. प्रश्नासि (प्रश्) व 2/1 सक. यज्जुहोषि [(यत्) + (जुहोषि)] यत् (यत्) 2/1 सवि. जुहोषि (हु) व 2/1 सक. ददासि (दा) व 2/1 सक यत् (यत्) 2/1 सवि. यत्तपस्यसि [(यत्) + (तपस्यसि)] यत् (यत्) 2/1 तपस्यसि (तपस्य) व 2/1 सक. कौन्तेय (कौन्तेय) 8/1 तत्कुरुष्व [(तत्) + (कुरुष्व)] तत् (तत्) 2/1 सवि. कुरुष्व (कृ) आज्ञा 2/1 सक. मदर्पणम् (मदर्पण) 2/1
115. शुभाशुभफलैरेवं मोक्यसे [(शुभ) + (अशुभ) + (फलैः) + (एवम्)
+ (मोक्ष्यसे)] [(शुभ)-(अशुभ)-(फल) 3/3] एवम् (अ)= इस प्रकार. मोश्यसे। (मुच्) भवि. कर्म 2/1 सक कर्मबन्धनैः [(कर्मन्-+कर्म)- (बन्धन) 3/3] संन्यासयोगयुक्तात्मा [(संन्यास) + (योग) + (युक्त) + (प्रात्मा)] [(संन्यास)-(योग)-(युज्+
106 ]
गीता
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