Book Title: Geeta Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 147
________________ (अ)= और स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते [ (स्मरन्) + (भावम्) । (त्यजति) + (अन्ते)] स्मरन् (स्मृ-स्मरत्) वकृ 1/1. भावम् (भाव) 2/1. त्यजति (त्यज्) व 3/1 सक. अन्ते (अन्त) 7/1. कलेवरम् (कलेवर) 2/1 तं तमेवैति [(तम्) + (तम्) + (एव) । (एति)] तम् (तत्) 2/1 सवि. एव (अ)=ही. एति (इ) व 3/1 सक. कौन्तेय (कौन्तेय) 8/1 सदा (प्र) = सदैव तद्भावभावित. [(तद्भावभावित [(तद्भाव) प्रे. भावित) भूकृ 1/1]. : . (भू-भावय-+भावित) भूकृ 1/1]. 103. अभ्यासयोगयुक्त न [(अभ्यास)– (योग)-(युज्+युक्त) भूक 3/1 चेतसा (चेतस्) 3/1 नान्यगामिना [(न)+ (अन्यगामिना)] न (अ, (अ)=नहीं. अन्यगामिना (अन्य गामिन्) 3/1 वि. परमं पुरुषं दिव्य याति [(परमम्) + (पुरुषम्)+(दिव्यम्)+ (याति)] परमम् (परम) 2// वि. पुरुषम् (पुरुष) 2/1. दिव्यम् (दिव्य) 2|| वि. याति (या) व 3/1 सक. पार्थानुचिन्तयन् [(पार्थ) + (अनुचिन्तयन्)] पार्थ (पार्थ) 8/1. अनुचिन्तयन् (अनुचिन्त-अनुचिन्तयत्) वकृ 1 || 104. प्रयाएकाले [(प्रयाण)- (काल) 7/1] मनसाचलेन [(मनसा) + (अचलेन)] मनसा (मनस्) 3/1. अचलेन (अचल) 3/1 वि. भक्त्य (भक्ति) 3/1 युक्तो योगबलेन [(युक्तः) + (योगबलेन) युक्तः (युज्युक्त) भूक 1/1. योगबलेन (योगबल) 3/। चैव [(च) + (एव) च (अ)=तथा. एव (अ)=ही. भवोर्मध्ये [(भ्र वोः) । (मध्ये) भ्र वोः (5) 6/2. मध्ये (मध्य) 7/1. प्राणमावेश्य [(प्राणम्) + (आवेश्य)] प्राणम् (प्राण) 2/1. आवेश्य (प्रा-विश्+पा-वेशय्मावेश्य) पूकृ. सम्यक् (म)=पूरी तरह से. स तं परं पुरुषमुपैति [(सः 102 ] गीता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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