Book Title: Ganitsara Sangrah Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh View full book textPage 8
________________ विषय-सूची (१) डा. त्रि. पति का प्राक्कथन ( Foreword) (२) ग्रन्थमाला संपादकीय (३) प्रो० बागीजी का प्रास्ताविक ( Introductory ) (४) संपादकीय ( Editorial ) (५) प्रस्तावना गणित इतिहास का सामान्य अवलोकन ... गणित इतिहास का विशिष्ट अवलोकन ... (६) गणितसारसंग्रह-मूल और अनुवाद १. संज्ञा (पारिभाषिक शब्द) अधिकार मङ्गलाचरण गणितशास्त्र प्रशंसा क्षेत्र-परिभाषा (क्षेत्रमाप सम्बन्धी पारिभाषिक शब्दावलि) काल-परिभाषा ( कालमाप सम्बन्धी पारिभाषिक शब्दावलि) ... धान्य-परिभाषा (धान्यमाप सम्बन्धी पारिभाषिक शब्दावलि) ... सुवर्ण-परिभाषा (स्वर्णमाप सम्बन्धी पारिभाषिक शब्दावलि) ... रजत-परिभाषा ( रजतमाप सम्बन्धी पारिभाषिक शब्दावलि) ... लोह-परिभाषा ( लोह धातुमाप सम्बन्धी पारिभाषिक शब्दावलि)... परिकर्म नामावलि (गणित की मुख्य क्रियाओं के नाम ) शून्य तथा धनात्मक एवं ऋणात्मक राशि सम्बन्धी सामान्य नियम संख्या संज्ञा स्थान नामावलि ( संकेतनात्मक स्थानों के नाम ) गणक गुण निरूपण २. परिकर्म व्यवहार ( अङ्कगणित सम्बन्धी क्रियाएँ) प्रत्युत्पन्न (गुणन) भागहार (भाग) वर्ग वर्गमूल घन घनमूल संकलित (श्रेढियों का संकलन) व्युत्कलित ३. कलासवर्ण व्यवहार ( भिन्न) भिन्न प्रत्युत्पन्न (भिन्नों का गुणन)Page Navigation
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