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युवाचार्यश्री ने पूछा-'तुम सबकी रुचि गहन अध्ययन में है अथवा आजकल के विद्यार्थियों की भांति केवल डिग्रियां हासिल करने में ?' सभी ने एक स्वर से उत्तर दिया-'हम गहन अध्ययन करना चाहती हैं।' उसी भाषा को दोहराते हुए युवाचार्यश्री ने पुनः फरमाया-गहराई से सोचकर उत्तर दे रही हो अथवा केवल श्रद्धा या भावावेश में बोल रही हो? एक क्षण के लिए हमारी मुद्रा गंभीर हो गयी, लेकिन पुनः सबने करबद्ध प्रार्थना की-'गुरुदेव ! हम अध्ययन करने के लिए कृतसंकल्प हैं। आचार्यप्रवर व युवाचार्यश्री के कुशल मार्गदर्शन में हम नया ज्ञान प्राप्त कर सकेंगी, ऐसा विश्वास है। हमारी मनोभावना को जानकर युवाचार्यश्री ने मन ही मन भावी कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली।
महावीर जयन्ती का पावन दिन । सूर्य की अरुण रश्मियों के साथ हमें प्रथम वाचना प्राप्त हुई। और यह प्रथम वाचना छेदसूत्र व आवश्यक ग्रन्थों के साथ प्रारम्भ हुई । प्रारम्भ में इस कार्य में पांच मंडलियां थीं जिनका नेतृत्व साध्वियां कर रही थीं। मुमुक्षु बहिनें उनके सहयोगी के रूप में थीं। कार्य की योजना बहुत विशाल थी। हमारा अनुभव नया था. पर दोनों मनीषियों की अनन्त ऊर्जा हमें सतत मिल रही थी। हम पूरी तन्मयता और उत्साह के साथ कार्य में जुट गयीं । इस कार्य के साथ पांच कोशों की योजना जुड़ी हुई थी
१. आगम शब्द कोश-प्राकृत के सभी पारिभाषिक शब्दों का अर्थ व प्रमाण सहित निर्देश ।
२. जैन विश्व कोश-जैन पारिभाषिक शब्दों पर अंग्रेजी भाषा में निबन्धात्मक विश्लेषण।।
३. देशी शब्द कोश-आगम तथा व्याख्या ग्रन्थों में प्रयुक्त देशी शब्दों का अर्थ और प्रसंग सहित निर्देश ।
४. निरक्त कोश-आगम एवं व्याख्या ग्रन्थों में प्रयुक्त निरुक्तों का चयन तथा हिन्दी अनुवाद ।
५. एकार्थक कोश-शताधिक ग्रंथों से एकार्थक शब्दों का संकलन ।
इसके साथ कुछ विशिष्ट दृष्टियां भी दी गयीं जिनके परिप्रेक्ष्य में हमें आगम ग्रन्थों तथा व्याख्या साहित्य का अध्ययन करना था। वे कुछेक दृष्टि-बिन्दु ये हैं
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