Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 10
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 4
________________ दिगंबर जैन। (२) कठिन व असंभव है । तीर्थक्षेत्र कमेटीके महा १० को हुआ है यह भी दुःखदायी है । सेठ मंत्रीजी आप व लाला देवी पहाय नी फिरोजपुः सखाराम जी हमारे पूज्य नेता सेठ हीराचंद नेमरसे कई तीर्थोके केसोंके लिये निश्चित थे इस चंदजीके बड़े भ्राता व बम्बई परीक्षालयके महालिये आपके वियोगसे तीर्थक्षेत्र कमेटीके सभी मंत्री सेठ रावजीभाईके पूज्य पितानी थे। आपकी कार्मोमें बड़ा भारी धक्का लगा है। जैसे आयु करीब ७० वर्षकी थी। भापम धर्म व स्वर्गीय दानवीर सेठ माणिकचंदनीका नाम बच्चा देशप्रेम अपार था। वर्षोंसे आपको स्वदेशी बच्चाको याद रहेगा. इसी प्रकार लाला जम्बूम- कपड़े वापरने की प्रतिज्ञा थी व स्वदेशी कपड़ेका सादजीका नाम भी सदा चिरस्मरणीय रहेगा। ही व्यापार करते थे । आपके नामसे कई वर्षों से हमारी महद् इच्छा है कि आपका चित्र व एक औषधालय सोलापुरमें चल रहा है । अंत बृहत् जीवन चरित्र प्रकट हो और इसके लिये समयमें आप २८१००) का दान इस प्रकार इनके इकलौते सुपुत्र श्रीमान प्रद्युम्न कुमार- कर गये हैं-२००००)सखाराम नेमचंद औषजीको हम निवेदन करते हैं कि आप हमारी घालय सोलापूर, ५.००) ऐलक पन्नालाल जैन इस ईच्छाको पूर्ण करने के लिये अपने धर्मवत्सल पाशशाला सोलापुर, ५००)सोलापुर पांजगपोल, दानी-पूज्य पिताजीका चित्र व परिचय हमें १०००) कंकुब्हेनको. ३००) कुंथलगिरि तैयार करवाकर भेजने की कृपा करें कि जिसको आश्रम. ८००) सोलापुर मंदिर, व १५००) हम 'दिगंबर जैन के पाठकोंकी सेवामें प्रकट कर फुटकर । हमारी यह महद् इच्छा है कि सेठ सकें । आपकी दान-सुची व धर्मकार्य साधा- सखारामजीके स्मरणमें शास्त्रदानकी भी कोई रण नहीं है इसलिये वे प्रकट होनेकी आब. व्यवस्था सेठ रावजीभाई करेंगे तो बहुत ही श्यकता है । अन्तमें हम पूज्य लाला जम्बूप- उपयुक्त होगा । अंतमें भापकी आत्माको शांति सदनीकी आत्माको शांति चाहते हैं व आपके व कुटुम्बको धैर्य प्राप्त हो रही हमारी भावना है। कुटुम्बयों हो धैर्य प.पज हो यही हमारी भावना है तथा हमें पूर्ण आशा है कि आपके सुपुत्र हमारे सभा धार्मिक पर्व वर्ष तीन दफे प्रद्युम्नकुमारकी अपने पूज्य पितान के कार्योको माते हैं परन्तु वर्षास्तुमें अवश्य संभाल लेंगे व पिताजीके मार्गका ही मोल कारण ही सभी पर्व अच्छी मनुसरण करेंगे। पर्व। तरहसे पालन होते हैं उसका खास कारण यह लाल। जानूप्रसादजीके वियोगके बाद ही दूसरा वियोग सोलापा भी है कि वर्षाऋतुमें पृथ्वी जलमग्न होनेसे दुसरा विशेग। निवासी वय वृद्ध दानी- त्यागीगण एक ही स्थानपर निवाप्त करते हैं देशभक्त व धर्मात्मा सेठ इससे धर्मलाभ विशष होता है व गृहस्थीको भी - सखाराम नेमचंद दोशीका गत श्रावण सुदी व्यापारसे अवकाश रहता है।

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