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दिगंबर जैन ।
सूचीपत्रप्राचीन सरस्वती भंडार
६ रोहणीकथा ज्ञानसागर कृत ५० ४१ ७ नागकुमार चरित्र मल्लिषेणकृत लि०१६९१
८ करकंडूचरित्र स० शुमचन्द्र प० २९ श्री दिगम्बर जैन मंदिर नरसिंहपुरा ९ , , ५० ७१
पापुरा सूर्यपुर (सूरत) लि० स० अक्षाहि ४१ वर्षे सोमित्रा में जिसको छिज्येष्ठ सुदी ६से ११ ।
वेष्टन नं० २.
१० क्रियाकलाप वृत्ति लि० स० १५५७ तकमें ग्रंथोंकी सम्हाल _
११ लोकानुयोग हरिवंशात नकशे सहित करके बनाया।
सर्ग ३ प० ७७ विदित हो कि यह मंदिर सूरतमें बहुत ही
१२ द्रव्यसंग्रह मूळ प्राकृत प० ४ प्राचीन है। यहां का शस्त्र मंड र वर्षोंसे बिना १३ व्यसंग्रह वृत्तहित १० ६९ पूछके अलमारी में बन्द पड़ा था। चूहोंने मन
हान मस. १४ रत्नकरण्ड श्रा०प०१६ कोक १९१ मारी काटकर तथा कीड़ोंने मीतर बहुतसे शस्त्र लि. स. १६०८ में जाहणापुरमें नष्ठ किये । सम्हाल करनेपर करीब ६०० नोट-१५० श्लोक प्रसिद्ध हैं मिलान करना शास्त्र पूर्ण निकल्ले । शेष करीव ४०० शास्त्र चाहिये कि ४१ श्लोक क्यों प्रसिद्ध नहीं । अपूर्ण होंगे जिनकी सूची नहीं लिखी गई है। १५ स्वोपज्ञलिंगानुशासन व्याकरण हेमचन्द्र इस कार्य में माई नगीनदास नासिंहपुगने पूर्ण कृत श्लो० ३३८४ १० ६५ सहायता दी है जिसके लिये वे धन्यवाद १६ सामायिक प्रा० का सं० भब्य १० पात्र हैं।
१०लि. स. १६९९ संस्कृत व प्राकृतके ग्रन्ध। १७ ,, भाष्य ५० २८ लि० स० १६४९ वेष्टन नं. १
१८ , पाठ सं० १० १०. १ प्रास्यंका चरित्र सं. प. २६कि.प.१६४६ १९ आलापपद्धति १० ७
२ पद्मनाभ पुराण विद्याभूषण का सर्ग १८२० कर्मप्रकृति सं० वृत्ति सहित प० ११ [० १४३ लि० १० १७०१ खंभातमें लि. स. १७१०
३ नेमिनिर्शग काव्य वाग्मट्ट प० ७७ . २१ चंडकृत प्राकृत व्याकरण की प्राका सारो. नोट-यह अछित्र व सी वाहड़ के पुत्र थे। द्धर वृत्ति प० ११ लि. स. १६१७ श्लो-अहिछत्र पुरेत्पन्न प्रारबाट कुलशालिनः २२ द्रव्यसंग्रह सं वृत्त २०१४ ले०१६९७ - बाहस्य सुतश्चके, प्रव-धं वाग्मटः कविः। २३ तत्वार्थसुत्र मूल ५० ११
४ भविष्यदत्तच रेन श्रीधा कृन लि. स. २४ समवशरण स्तोत्र विष्नुसेन ५० ६ . १९९२
वेष्टन नं. ३ पांडवगण शुभचन्द्र प. १९१
२५ मह पुराण प्रकृत पुष्पदंत १०२ पत्र