Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 10
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 32
________________ DOANUाल नीचे है ग्रंथ नं दिगंबर जैन। करमसद (खेडा)में प्राचीन २ यशोधरचरित्र सोमकीर्ति प० ४७ ४ शांतिनाथपुराण सं० श्रीभूषण प० ११७ दर्शनीय ग्रंथ। नोट-श्रीमूषणके ग्रन्थ बिलकुल अपगट हैं। हमने ता० ३ व ४ जुलाई को करमसदके । इनको प्रगट करना चाहिये। ग्रंथोंका दर्शन किया व उनकी सम्हाल की । ----- __५ लोकस्थिति सं० ५० १० यहां एक भट्टारक रत्नकीर्ति हो गए हैं उनका १ पुराणिक श्लोक सं० ५० १५ . ___ ७ मल्लिनाथ चरित्र सकलकीर्ति प. ९० एक संदूक था उसकी सूची नहीं बनी हुई थी। उसकी सूची बनाई गई निसका कुछ वर्णन वेष्टन न० ३ में व न० ८ से २१ ता संस्कृत पूजाके ग्रन्थ हैं जिनमें न. १५ में वेष्टन नं. १ विमान शुद्धि पूना प० ११ व न० १८ में १-श्री जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति प्राकृत पद्मनंदि त्रेपनक्रिया पूजा व ८४ जाति जैमाल है व कृत संधि १३ लि० सं० १४६० योगिनीपुरे न० १८ में बाराव्रत उद्यापन पद्मनंरिकृत प. सुलतान मुहम्मद शाह राज्ये पत्रे २५४ वेष्टन न. ४-५-६-८ में गुजराती ग्रन्थ मंगलाचरण देवासुरिंद महिदे दसडरूवूण (चार) कम हैं जिनमें जानने योग्य हैंपरिहीणे । केवलणाणा लोर सद्धम्मुव एसदे न० २२ चंद्रपम पार्श्वनाथ शांतिनाथरास अरुहे। अंतप्रशस्ति- ११ पंचपरमेष्टीरास व हरिवंशराप्त ५० विउधबइमउड़ मदिण गणकर सलिल सुधोय चारुपय कमलं । वर पउमणदि णमियं वीर - २१ महावीरराप्त व कर्मविपाकरास जिनदास जिणिदणमामि । २६ धर्मपरीक्षाराप्त सुमतिकीर्ति प० ११४ यह हमें तो दिगम्बरी मालूम होता है। - २७ सगर आख्यान प० १४ . इसकी प्राकृत सुगम है । इसका प्रकाश अवश्य २९ भादिनाथरास निनदास प० २१ होना योग्य है । यहां वाले कहते हैं कि सेठ ३१ सीताहरण पाख्यान जयसागरकत . माणकचंदनीने इसकी नकल करा ली थी। ____४० श्रावकाचार गुजराती प० ११२ । यदि बम्बई में नकल हो तो उसको सबसे प्रथम श्रीपाल कृत बड़ा गुटका (प्रगट योग्य) "माणिकचंद ग्रंथमाला" में प्रगट करना वेष्टन न० ७ में हिन्दी मराठी ग्रन्थ हैं उनमें चाहिये । यदि नकल न हो तो नकल कराना न० ३६ आत्मविलास हिन्दीका बहुत उपयोगी चाहिये। प्रगट योग्य है । प० १६३ सम्पूर्ण है। वेष्टन नं. १ न० ३७में धर्मामृत तत्वसार मराठी ग्रंथ न० २ पांडवपुराण श्री भूषण त ५० भाषा गुणकीर्तिकृत प० ५२ (प्रगट योग्य) २१० लि. स. १७१२ बहादुरपुरे बेष्टन न० ९ भनेक यंत्र व चित्र पोथी है

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