Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 10
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 33
________________ (३१) . दिगंबर जैन । नं० ४१ रमणीक चित्र २९ विचित्र रंगके पत्रे नं. १३ से नं० १९ तकमें पूजा२४ तोथंकरोंके शरीर वर्णके २४ चित्र, ५ पाठके गुटके हैं। अन्य माहारदान, संसार वृक्ष आदि दर्शनीय । यहांके पंचायती शास्त्र भंडारके लिखित शास्त्र नं. ४२ रविवारकथा गुजराती सचित्र बहुत भंडारको लिखा, उसमें जानने योग्य वे० नं. ही बढ़िया चित्रकला बताई गई है। इसमें ५१ १ में ग्रन्थ नं. १ आत्मानुशासनकी चित्र अपूर्व हैं । यह सं० १८१६ में अंजन संस्कृत वृत्ति प्रभाचंद्र कृत ५० ६५ ग्राममें सेठ वृषभनाथकी स्त्री चांदबाईने लि० सं० १८८२ है यह अवश्य प्रगट लिखवाए। .. योग्य है) व वे० नं० २ में न० ४ श्रावका४३ शृतस्कंध यंत्र रंगीन चार श्रीपालकृत गुजराती श्लोक १०, १५ ४४ ८४ लाख उत्तरगुण चित्र पत्रे १८८, वे० नं. ३ में ग्रं० ५ यशोधर ४५ पद्मावती यंत्र चरित्र गुजराती देवेन्द्रत पं० ९९,वे. नं. ४ ४१ योगवृद्धि यंत्र गोमटसार में ग्रन्थ नं० ६ प्रद्युम्नचरित्र देवेन्द्र प० ३१ है। ४७ ६४ मंत्र यंत्र जो ग्रंथ मंगाना हो उसके लिये यहांके सेठ . १८ एकासी यंत्र झवेरदास रणछोडदासको लिखना चाहिये । ४९ ज्वालामालिनी यंत्र नोट-यहां भ० रत्नकीर्तिका एक संदूक था ५० क्षेत्रपाल यंत्र. .. उसमें ३ संस्कृत ग्रंथ थे उसमें प्रतिबोधवेष्टन नं. १० चिंतामणि श्रावकाचार श्रीभूषणकृत पत्रे १८५ लि० सं० १६६९का अप्रगट है । यह ११ जिनसे न सहस्रनाम सुवर्णसे लिखा हुआ, भी प्रगट होने योग्य है। भागगमें औरंगशाहके राज्यमें अग्रवाल मीतल सीतलप्रसादजी ब्रह्मचारी। गोत्री सेठ पर्वतने ब्रह्मचारी हर्षसागरके उपदे. - - शत. १७ १६ में लिखवाया, प० २१ । । स्वर्गीय कविइसमें कई पीढ़ियोंकी वंशावली दी है (दर्श- हीराचंद अमोलिक फलटनकर कृतनीय है । ) हिंदी सुरस पद ५२ यशोधरचरित्र सोमकीर्ति सं. जो वर्षों न ही मिलता । वहीं फिर छपकर पत्र ६१ इसमें सोनेकी कलमसे बने बहुत ही तैयार होगयः ! इसमें इत्तमोत्तम १०० पदोंका बढ़िया १८ चित्र दर्शनीय है । इसको हूमड संग्रह है . उत्तर काग, अभबई की उत्तम छपाई ज्ञातीय प्रतापसिंह के पुत्रोंने लिखाया। पृ. ४८ व मूरु छ, आन । इन पदों की ख्याति . संवत अत्रेकैकपंचयुक्ते ऐसा दिया है तो मान्य है । ये भ६ मं॥इए । कविका सम्झमें नहीं आया। चित्र मा । . वे० नं. ११ में अजैन, १२ में फुटकर मैनेजर, दि० जैन पुस्तकालय-मरत ।

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