Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 10
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 12
________________ पर दिगंबर जैन। (१०) ५० ४५१ लि. स० १६४९ इसी मंदिरमें १८ सम्पक कौमुदी १० १९४ मीण २६ हनुमानचरित्र. ब्रमजित १० ७५ ३९ पुशंजलि कपा ५० ३ लि० १६९४ अहमदावाद मौनमपुरे ४० श्रेणिकचरित्र प० ८९ २७ कथाएं ७५० ३१. ४१ होली पर्व कथा 4.2 .२८ प्राकृत श्रीपालचरित्र श्री नरसेन्देव रत . ४१ पर्द्धमानपुराण पद्मदि लि०म० १५२१ ५०१९ लि०सं० १४१४ योगिर्न परे मुस्तान ५३ धन्यकुमार च० सकलकीर्ति ५० २८ फीरोजशाह राज्ये म० श्री क्षमाभूषणदेवके समय में देष्टन नं. ५ उनके शिष्य ब्र० रामदेवने लिखा था। ४४ गोमटसार मूल ५० ९७ शुद्ध हि०० नोट-यह सबसे प्राचीन ग्रंथ ५६३ वर्षका १५६७ (दर्शनीय) लिखा है। यह प्रगट होने योग्य है ४५ परीक्षामुख १० १२ २९-जिनदत्तकथा गुणमद्र कृ० वि० स० ४१ पार्श्वनाथस्तोत्र स्वृत्ति ५० ११ १९९२ सुरतके सीतलनाथ मंदिर में म० विनय. ४७ विषापहार भूपाल चौ० हवृत्ति २०१६ कीर्तिके समयमें ४८ षटूदर्शन ५०६ ३० नागकुमार चरित्र प० २१ १९ सुप्पयदोहा प्राकृत ७७ १०८ ३१ यशोधरचरित्र तोमर्क ति ५० ५२ ५० हरस्वती स्तुति सटिपणी जण । नकल ३२ यशोधरचरित्र प्राकृत पदंस्कृत ४ योग्य । शायद आशाधर कृत है। परि०प० १०५ लि०स०१५७९ (प्रगतयोग्य) ५१ दिर प्रकरण प० १४ . वेष्टन नं. ४ ५११.र्श्वगथ स्तोत्र १०३ ३३ महापुराण प्रारत पुष्पदंत प० २४९ ५३ बृहत् दक्षाविधि समंत्र १०६ ३७ पर्व तक भरत निर्वाण लि. १६४८ यहीं ५४ पौत्र सठाणा वृत्ति लि० १६३३ यहीं ___३४ महावीरपुरण विद्य भूषणकत १.१८८ ५५ प्रतिक्रपण पाठ १०६ अन्तके एक दो नहीं ५६ आराधनासारादि प० १८ __३१ रामचरित्र श्रुतसागरका ५० ७७ लि....५७ पञ्चस्तोत्र वृत्त R. १६९७ कारनामें स. १६०९ सुति सीतलनाथ मंदिरमें ५८ प्रश्नोत्तर श्रा० सालकीर्ति प० १०४ .२१ प्रद्युम्न चरि• महसे चार्थकृत १०१६ १९ भक्तामर समंत्र ५० ३९. . लि० स० १५९४ वर्वर पुत्र हुम युं राज्ये ६० तत्वसार ५० ३३ (अंतका नहीं) गे.पाचल दुर्गे निकट सुरक्षावली में भ० गुण- ६१ मातृका अमिधान वंदवक मंत्रशास्त्र मद्र काल में ५० २१ - ३७ रोहिणी कथा ५० १९ लि० स० १२ पद्मावती अष्टक वृत्त मंत्र ५० ११ ६३ परमात्मा प्रकाश प्रा० गाथा ५९ प०५ १९५९

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