Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 10
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 10
________________ दिगंबर जैन । . विना मूल्य-नीचे लिखी पुस्तकें हमसे प्रप्तादनी साहब रईस सहारनपुरके असमय विना मूल्य मिलेंगी। जिन्हें चाहिये डाकखर्च स्वर्गवास हो जानेपर अपना अत्यंत हार्दिक की टिकट भेनकर मगा लेवें-१ उपासना तत्व, शोक प्रकट करती है और उनकी अप्लीम धर्म २ विवाहका समुद्देशय, ३ वर-पुष्पांजलि, ४ परायणता एवं तीर्थभक्तिका स्मरण कर, उनकी मेरी भावना, ५ विधवा कर्तव्य । पोस्टेन चा आत्माको परम शांति प्राप्त हो ऐसी भावना प्रथम तीनका आध १ आना, ४ का पांच तक प्रगट करती हुई प्रस्ताव करती है कि इसकी आध आना व पांचका एक आना होता है। नकल उनके सुपुत्र लाला प्रद्युम्नकुमारनीको जुगलकिशोर मुखत्यार पो. सरसावा भेजी जाय । " ( सहारनपुर ) पानीपत जैन हाईस्कूलमें संस्कृत व बंगाल आसाम-खंडेलवाल सभाका धर्मशिक्षा विभाग। दुसरा तीसरा अधिवेशन कलकत्तेमें कार्तिकी पूज्य ब्र० शीतलप्रसादनीके चातुर्माससे पानीमहोत्सव पर करनेकी तैयारी हो रही है। पतमें जैनोंमें नवचेतन आ रहा है। अभी - आवश्यक्ता-वीसपंथी आम्नायानुसार पू ब्रह्मचारीनीके उपदेशसे वहांके भाइयोंने जैन जा पाठ कर सके व शास्त्र वांच सके ऐसे दो विद्वान तैयार करने के लिये जैन हाईस्कूलके विद्वान विद्यार्थियों की भाद्रपदके लिये आवश्य- साथ एक संस्कृत धर्मशिक्षा विभाग खोलनेका क्ता है । आनेजाने का व भोजन खर्च दिया निश्चित किया है । इसमें परदेशी या पानीपतके जायगा । लिखो-चुनीलाल बापुनी दलाल पेड़ व अनपेड़ छात्र भर्ती किये जायगे व जलगांव ( खानदेश ) . इसके प्रार्थनापत्र सितम्बर मासतक लिये नायगे। शोक सभाएं-जैन समानके सुपसिद्ध व अक्टूबर में पढ़ाई का कार्य प्रारंभ होगा। अगुए श्रीमान् लाला जम्बूपसादजीके अप्समय इसकी नियमावलि जयकुमार सिंह जैन मैने नर, वियोगके लिये स्थान २ पर शोक सभाएं हो जैन हाईस्कूल पानीपतको लिखने से मिल सकती रही हैं जिनमें गत ता० १९ को धम्बई में . हैं । वा संस्कृत, व्याकरण, न्याय साहित्य, व एक शोक सभा सेठ पानाचन्द रामचन्द जौहरीके दि जैन धर्मकी शिक्षा नियत पठनक्रमानुसार सभापतित्वमें हुई थी जिसमें पं खूब वंदनी, दी जायगी। पं० फुलजारीलालनी व पं. पं० धन्नालाल जी, सेठ स्तनचंद चुनीलाल बी. भीषमचन्दजी ये काशी व मोरेना पढ़े हुए ए. आदिने लालजीकी तीर्थ-क्ति व अनेक विद्वान हैं वे यहां धर्म व संस्कृत पढ़ायंगे। समाजसेवाका हृदयस्पर्शी व अनुकरणीय चा छात्रवृत्ति देने के लिये वहांके भाइयोंने ९०) रित्रका वर्णन किया था। अंतमें इस प्रकार मासिककी सहायता जहांतक विद्यालय कायम प्रस्ताव पास हुआ कि "बम्बई दि. जैनसमाज रहे देते रहने का स्वीकार किया है और आशा परम धर्मात्मा, तीर्थभक्त श्रीमान् लाला नम्बू है कि इससे विशेष सहायता भी मिल नायगी ।

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