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अध्याय ३४
अन्य सोमयज्ञ सूत्रों ने सोमयज्ञों के सात प्रकारों के विषय में लिखा है, जो ये हैं-अग्निष्टोम, अत्यग्निष्टोम, उक्थ्य, षोडशी, वाजपेय, अतिरात्र एवं अप्तोर्याम (कात्या० १०१९।२७, आश्व० ६।११११, लाट्यायन० ५।४।२४)। प्रथम के विषय में हमने पूर्व अध्याय में पढ़ लिया है। अन्य सोमयज्ञों के विषय में हम बहुत ही संक्षेप में अध्ययन करेंगे। सभी सूत्र सोमयज्ञों की संख्या एक सी नहीं बताते। आप० (१४।१३१) एवं सत्याषाढ (९७, पृ० ९५८) ने स्पष्ट लिखा है कि उक्थ्य, षोडशी, मतिरात्र एवं अप्तोर्याम केवल अग्निष्टोम के विविध परिष्कृत रूप है। ब्राह्मणों में अग्निष्टोम, उक्थ्य, षोडशी एवं अतिरात्र ज्योतिष्टोम के विविध रूपों में ही वर्णित हैं (शतपथ० ४।६।३।३, तैत्ति० १॥३॥२ एवं ४)। तैत्तिरीय ब्राह्मण ने वाजपेय को भी ऐसा ही मान लिया है।
उक्थ्य याउिक्थ इस सोमयज्ञ में अग्निष्टोम के स्तोत्रों एवं शस्त्रों के अतिरिक्त अन्य तीन स्तोत्र (उक्थस्तोत्र) एवं शस्त्र (उक्थशस्त्र) पाये जाते हैं और इस प्रकार सायंकालीन सोमरस निकालते समय गाये जाने वाले (स्तोत्र) एवं कहे जाने वाले (शस्त्र) छन्द कुल मिलाकर १५ होते हैं (ऐतरेय ब्राह्मण १४३, आश्व० ६।१।१-३)। आपस्तम्ब (१४।१। २) का कथन है कि उक्थ्य, षोडशी, अतिरात्र एवं अप्तोर्याम क्रम से उन्हीं लोगों द्वारा सम्पादित होते हैं जो पशु, शक्ति, सन्तति एवं समी वस्तुओं के अभिकांक्षी होते हैं। उक्थ्य में अग्निष्टोम के समान बलि दिये जाने वाले पशुओं के अतिरिक्त बकरी की भी बलि दी जाती है (देखिए ऐतरेय ब्राह्मा १४॥३, आश्वलायन० ६।१।१-३, आपस्तम्ब १४१, शतपथ० ९७, पृ० ९५८-९५९)।
षोडशी
___ इस यज्ञ में उक्थ्य के १५ स्तोत्रों एवं शस्त्रों के अतिरिक्त एक अन्य स्तोत्र एवं शस्त्र का गायन एवं पाठ होता है, जिसे तृतीय सवन (सायंकाल में सोमरस निकालने) में पोड़शी के नाम से पुकारा जाता है। आपस्तम्ब (१४।२।४-५) के मत से प्रातःकाल या अन्य कालों में रस रखने के लिए एक अधिक पात्र भी रख दिया जाता है। यह पात्र खदिर वृक्ष की लकड़ी से बनाया जाता है और इसका आकार चतुष्कोण होता है। इस यज्ञ में इन्द्र के लिए एक भेड़ा भी दिया जाता है। इसकी दक्षिणा लोहित-पिंगल घोड़ा या मादा खच्चर होती है (देखिए ऐतरेय १६।१-४, आश्व० ६।२-३, आप० १४।२।३, सत्या० ९।७, पृ० ९५९-९६२) ।
अत्यग्निष्टोम इस यज्ञ में षोडशी स्तोत्र, षोडशी पात्र एवं इन्द्र के लिए एक अन्य पशुजोड़ दिया जाता है, अन्य बातें अग्निष्टोम के समान ही पायी जाती हैं।
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