Book Title: Dharmpariksha
Author(s): Jinmandangiri, Chaturvijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
View full book text
________________
धर्मपरीक्षा
जाणवइकोडीओ लक्खाइ एस जिओ।
नवमः
परिच्छेद
ज.कम्मं खिसजिओ। दसवीसाए सतिहा
दसारसीहस्स
तो पुणो वि वचंतोखाद करेइ निवमा महान
बाणुंवइकोडीओ लक्खा गुणसहि सहसपणवीसं । नवसयपणवीसाए सतिहा अडभागपलिजस्स ॥१८॥ चउवीसगत्थएणं दंसणसुद्धिं जणेइ एस जिओ। दसणसुद्धीइ पुणो तित्थयरत्तं लहइ जीवो ॥ १९॥ वंदणएणं नीयागो कम्मं खिवेइ नीसेसं । उचागोजं बंधइ दसारसीहस्स नाएणं ॥२०॥ पडिकमणेणं जीवो संजमसुद्धिं करेइ सविसेसं । सुविसुद्धसंजमेणं होही रुदासवो साहू ॥२१॥ दुठ्ठकम्मगंठिं मोडर काउस्सग्गनों सुहशाणी । वयसेसपावसुदि करेइ निवमा मुहुत्तेनं ॥२२॥ जह करगजो निकिंतह दारूं इंतो पुणो वि वचंतो। इह किंतंति सुविहिजा काउस्सग्गेण कम्माई॥ २३॥ उदिओ उ य राया निचं उस्सग्गकरणउजुत्तो य। धम्म काउ विसुद्धं जाओ सुक्खाण आभागी ॥२४॥ एगंतधम्मरूवा पावासववजणेण जीवहिआ। नो कत्थ वि हीलिजइ एए हेमं व सुद्धिकरा ॥ २५॥
सोर्सि सुहहेऊ जीवो जिणधम्मकारओ सम्मं । जह सिरिमइ सिट्ठिसुआ सोमा वि पुरोहियसुवा व ॥१॥ सिरिपुरनयरे सेट्ठी सणनामेण जणमणाणंदी । आसि पुरा तस दइआ सीलवई सीलगुणगुरुआ ॥२॥ तस्स धुवा धुअपापा सिरीव रूवेण सिरिमई नाम । सुगुणा नमिरसहावा आसि जहा वंसधणुवल्ली ॥३॥ वुहूती पियगेहे सा सुरवल्ली व नंदणवर्णमि । जाया जुबणसमए कलाकलावेण कलिअंगी ॥४॥ कुलसीलरूवसंपयकलिएण वरेण सिद्विणा समहं । परिणाविया य जाया सा विहवा कम्मजोगेण ॥५॥ खंडिजसीलावारा गहीवववमंजणा पमाय
उदिओ उ य राया
ASXX*XXX
॥५२॥

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148