Book Title: Dharmpariksha
Author(s): Jinmandangiri, Chaturvijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 144
________________ धर्मपरीक्षा नवमः परिच्छेदः ॥ ५९॥ ॐ%A5%5CSCACIRS एवं जीवा चउहा हवंति धम्मे वि लोअमज्झम्मि। जे धम्मे अणुरत्ता परधम्मपयासगा थोवा ॥२१५॥ अह सिरिमई वि पुच्छइ गणिनीपासे नमित्तु विणएणं । नवतत्ताण वियारं पभणइ गुरुणी तओ एवं ॥२१६ ॥ जीवाजीवा पुन्नं पावासवसंवरो अ निजरणा । बंधो मुक्खो अ तहा नवतत्ता हुंति नायबा ॥ २१७ ॥ जीवा दुविहा भणिआ संसारत्था य मुत्तिपत्ता य । पंचदसहा अ सिद्धा अन्ने एगूणया भणिया ॥ २१८ ॥ चउदसविहा अजीवा धम्माधम्मत्थिकायनहपमुहा । खंधाइभेयभिन्ना निच्चा दबट्टया देसा ॥ २१९ ॥ जीवस्स य सुहकारणपुग्गलगहणं परं हवइ पुण्णं । वायालीसविहाणं वरसोहगसंपयाहेऊ ॥ २२० ॥ बासीइभेय पावं जंतूणं असुहपुग्गलसरूवं । बायालीसविहं पुण आसवतचं इहारूवी ॥ २२१ ॥ सत्तावन्नपयारं संवरतत्तं सुराइसुहहेऊ । बारसविहा य भणिआ कम्माणं निजरातत्तं ॥२२२ ॥ अभिनवकम्मग्गहणं बंधो चउहा जिणेहिं पन्नत्तो । अट्टविहकम्ममुक्को मुक्खो नवहा हवइ भहे ! ॥ २२३ ॥ एवं तत्तसरूवं सुणिऊणं सिरिमई समिअपावा । पालइ सावयधम्मं सोमा सहिआ तिहा सुद्धं ॥ २२४ ॥ तिविहकरणोवउत्ता छबिहआवस्सयाइँ पालंती। दुविहं जिणिंदपू कुणई सोमाजुआ एसा ॥ २२५ ॥ चउमासी उववासी साहू निस्संगसेहरो कइया । भत्तीए सिरिमईए पुन्नेणं नियगिहं पत्तो ।। २२६ ॥ नियमासखमणपारणदिवसे पाराविओ विसुद्धोहिं । अन्नाईहिं सययं हरिसिअहिअआइ अहिअयरं ॥२२७॥ युग्मम्॥ देवहिं कणयवुठ्ठी सुपत्तदाणप्पभावतुडेहिं । तइया तीए गेहे विहिआ विम्हयकरी नयरे ॥२२८॥ अह नरवइदइयाए

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