Book Title: Dharmpariksha
Author(s): Jinmandangiri, Chaturvijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 138
________________ धर्मपरीक्षा ॥ ५६ ॥ गुरुकरी अ । गुरुलाघवं च नेयं धम्मंमि अओ अ आगारा ॥ ९६ ॥ जं विहिअमणुट्ठाणं वितत्तं कुणइ दंसणं समलं । समलंमि तंमि तवनियमवयगुणा हुंति न बहुफला ॥ ९७ ॥ धम्मगयं वितत्तं थोवं पि विसं व हणइ | सुहनिचयं । बुहेइ दोसजालं जणेइ बहुणत्थवित्थारं ॥ ९८ ॥ यतः - धर्मानुष्ठानवैयर्थ्यात्प्रत्यपायो महान् भवेत् । रुद्रदुःखौघजननो दुष्प्रयुक्तादिवौषधात् ॥ १ ॥ इइ सुणिऊणं सोमा पभणइ गुरुणिं नमित्तु विणएणं । जहसति मए धम्मो सुद्धो विहिणा य कायवो ॥ ९९ ॥ धम्मग्गहणसरूवं तत्तो सोमा सयं घरं पत्ता । पुरओ जणयाईणं जहट्ठियं साहइ हिअट्ठा ॥ १०० ॥ तत्रयणं सुणिऊणं सोमं पभणइ पिया य सयणगणो । आजम्ममिच्छदिट्ठी वच्छे ! नहि सुंदरं विहिअं ॥ १०१ ॥ जं कुलकमेण पतं मग्गं चइऊण सयलसुहजणयं । पडिवन्ना जिणधम्मं अइदुकरकिरिअदुच्चरिअं ॥ १०२ ॥ कुणमाणीए एवं धम्मं तह सुंदरं न वि अ होही । ता मुंच इमं धम्मं जइ इच्छसि अप्पणो महिमं ॥ १०३ ॥ इइ पिअवयणं सुच्चा सोमा चिंतेइ नियमणे एवं । पडिवयणं पुण दाउ जुत्तं नवि होइ तायस्स ॥ १०४ ॥ यतः पुच्छिउं पयट्ट करणिजेसुं निसेहिओ ठाइ । खलिएसु खरं पि भणिओं विणीययं नो बिलंघेइ ॥ १ ॥ जर कह वि साहुणीणं पासे आगच्छई पिया एस। ता होही पडिवोहो कइया तवयणसवणेणं ॥ १०५ ॥ एवं चिंतिअ सोमा पभणइ जणयं परेण विणएणं । वयणेण संजईणं धम्मो एसो मए गहिओ ॥ १०६ ॥ ता तुम्हेहिं नवमः परिच्छेदः ॥ ५६ ॥

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