Book Title: Dharmmangal
Author(s): Lilavati Jain
Publisher: Lilavati Jain

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Page 51
________________ कार्तिकेयानुप्रेक्षा गाथा १९७ एवं वारसाणुवेक्खा गाथा १८ देखें-जिस में अविरत सम्यग्दृष्टि को जघन्य अंतरात्मा एवं जघन्य पात्र कहा है। अब यदि अंतरात्मा ही मोक्षमार्गी नहीं होगा तो फिर कौन होगा? जिज्ञासा २२-क्या दिगंबर मुनिराज स्वाध्याय एवं संयम पालनार्थ चष्मा धारण कर सकते हैं? यदि कर सकते हैं तो चष्मे रखने का घर(केस) तथा काँच साफ करने के लिए वस्त्र का टुकड़ा भी रखना पड़ेगा। तो क्या वे परिग्रह की परिधि में आयेंगे या नहीं? जिज्ञासा २३ - प्रवचनसार गाथा २३९ (परमाणुपमाणं वा मुच्छा....)-तत्त्वप्रदीपिका टीका की उत्थनिका (अथात्मज्ञानशून्यस्य सर्वांगमज़ान तत्त्वार्थ श्रद्धानसंयतत्वानां योग - पद्यमप्यकिंचित्करमित्यनुशास्ति।.....)में आत्मज्ञानशून्य शब्द का प्रयोग भावलिंगी या द्रव्यलिंगी मुनि-किसके लिए किया गया है? जिज्ञासा २४- प्रवचनसार गाथा २३८ (जं अण्णाणी कम्म खवेदि......)-तत्त्वप्रदीपिका टीका में एवं उत्थनिका (अथात्मज्ञान तत्त्वार्थ श्रद्धान संयतत्वानां यौगपोऽप्यात्म ज्ञानस्य मोक्षमार्गसाधकतमत्वं द्योतयति) में आत्मज्ञान का क्या अर्थ है? जिसे मोक्षमार्ग का साधकतम कहा है ! तथा आत्मज्ञानशून्य को अज्ञानी कहा है ! जिज्ञासा २५ - क्या दि. मुनिराज रात्रि में बोल सकते हैं? उपदेश दे सकते हैं? इस बारे में आगम क्या कहता है? जिज्ञासा २६ - क्या वर्तमान काल में दि. मुनिराज एकलविहारी हो सकते हैं? क्या एकलविहारी होना सर्वथा निषिद्ध है? जिज्ञासा २७ - उद्दिष्टाहार त्यागी व्रतियों को किन-किन सावधानियों को रखना चाहिए जिससे उद्दिष्टाहार का ग्रहण न हो। क्या आहारदाता श्रावक को व्रती/दो प्रतिमाधारी श्रावक होना अनिवार्य है? क्या अव्रती पाक्षिक श्रावक से उद्दिष्टाहार त्यागी आहार ग्रहण कर सकते हैं या नहीं? (उपरोक्त तत्त्वचर्चा में कुछ आगम के अभिप्राय से विरूद्ध लिखा गया हो तो हे जिनवाणी. माँ, एवं ज्ञानी जन मुझ अबोध बालक को क्षमा कर सद्बुद्धि प्रदान करना। भ. महावीर निर्वाण दिवस (दीपावली पर्व) पर मिथ्यात्व अंधकार का निर्वाण हो जगत में सम्यक्त्व का उजाला फैले इस पवित्र भावना के साथ। आपका शिवाकांक्षी , ब्र. हेमचंद जैन, हेम' धर्म्यध्यान-आगम के आलोक में 0 किं बहणा भणिएणं जे सिद्धा णरवरा गए काले। सिज्झिहहि जे वि भविया तं जाणह सम्ममाहाध ॥४८॥ मोक्षपाहुड अर्थ-बहुत कहने से क्या साध्य है?जो नरप्रधान अतीत काल में सिद्ध हुए हैं और आगामी काल में सिद्ध होंगे, वह सम्यक्त्व का माहात्म्य जानो।

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