Book Title: Dharmmangal
Author(s): Lilavati Jain
Publisher: Lilavati Jain

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Page 68
________________ ६८ (१४) गृहस्थ को अनुभूति होती है। संदर्भ-महापुराण २१/२१, ७५, समयसार गाथा-११,तत्त्वार्थसूत्र-६/१,२,३ (१५) सम्यक्त्व देवगति का कारण क्यों कहा? ___ संदर्भ-तत्त्वार्थसूत्र ६/२१ (१६) अविरत सम्यक्त्वी को संवर होता है ___ संदर्भ- बृ.द्र.संग्रह गाथा ३५ टीका, प्रवचनसार गाथा ९ टीका ता.वृ. (१७) अविरत को आत्मानुभव कैसा होता है? - संदर्भ-तत्त्वानुशासन श्लोक ५४, ५८, ६३, ६४, ६५ (१८).४ थे, ५ वें, ७ वें गुणस्थान के अनुभव में क्या अंतर होता है? संदर्भ-तत्त्वानुशासन श्लोक ४९, प्रमेय कमल मार्तंड २/१२/२४५ (१९) शुद्धोपयोग कैसा है? संदर्भ-प्रवचनसार गाथा १४ (२०) ४ थे गुणस्थान में आत्मानुभव मानेंगे तो कोई व्रती नहीं होगा? संदर्भ-इष्टोपदेश श्लोक ३७ (२१) धर्म्यध्यान, शुक्लध्यान - तीन प्रकार के सम्यग्दर्शन में क्या अंतर है? संदर्भ-धवला पुस्तक १३/७४ (२२) सकलादेशी-विकलादेशी संदर्भ-अष्टसहस्त्री ३/२११, २१२, परमानंद स्तोत्र १०, प्रवचनसार गाथा १९१, नियमसार गाथा ९६-कलश ३४, २५, २६, ५८ (२३) शुद्धत्व का पक्ष - संदर्भ-समयसार १४२, जैन सिद्धांत कोश २/५६५, नयचक्र देवसेनाचार्य, समयसार कलश १२२, समयसार गाथा.१७३ से १७६, समयसार१७७, १७८, · तात्पर्यवृत्ति (२४) जघन्य आत्मभावना गृहस्थ को होती है ? __संदर्भ- मोक्षपाहुड २/३०५ (२५) गृहस्थ को ध्यान होता है ____संदर्भ-भावसंग्रह ३७१,३९७,६०५ (२६) धर्म्यध्यान-शुक्लध्यान भावपाहुड से ८१/२३२/२४, द्रव्यसंग्रह गाथा ३४, प्रवचनसार गाथा १८१ (२७) संदृष्टि कोष्टक -संदर्भ-आप्तमीमांसा १०८ (२८) स्वात्मानुभव - संदर्भ - क्षु. धर्मदार.... -संदर्भ-निजध्रुवशुद्धात्मानुभव (प्रत्यक्ष प्रामाण्यसहित)से साभार-संपादिका

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