Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मिरः // अनव बिन्नदानेन / प्रीणितार्थिमधुव्रतः // 70 // धनदत्ता प्रिया तस्य / प्रियालापैकसारणिः सार्थ | // सद्यशाः सन्मतिः पुत्री / तयोरासीद्यशोमती // 31 // पुत्रेभ्योऽपि प्रियतरी / वर्डमाना क्रमेण सा // अपावि समये पित्रा / कला योषिज्जनोचिताः // 12 // का मे वपुषि हेमाने / विषा 15 हेमममनैः / / इति सा शास्वती जूषां / गुणरत्नमयों दधौ / / 73 // सा तानं स्माद दत्ताहं / सुरें| द्रांगरुहे त्वया // मयापि खड्नु गतेति / स एव हृदि धारितः // 14 / / ततोऽपरं वरं कंचित / कुर्वनामे शेठ ( वसतो) हतो. // 70 // तेने प्रिय वचनोनी एक नहेरसरखी धनदत्ता नामनी स्त्री हती, तथा तेनने उत्तम यशवाळी अने सद्बुध्विाळी यशोमती नामे पुत्री हती. // 71 // पुत्रो. थी पण वधारे वहाली तथा अनुक्रमे वृधि पामेली ते यशोमती योग्य समये स्त्रीने लायक कलान शीखी. // 7 // मारां सुवर्णसरखां शरीरमां सुवर्णना आऋषणोनी शी जरुर ? एम विचा रीने तेणीए गुणोरूपी रत्नोवाद्यं शाश्वतुं था नृषा धारण कर्यु. // 73 // तेणीए पोताना पिताने कह्यं के, हे पिताजी! आपे मने सुरेंद्रदत्तशेठना पुत्र धम्मितपते थापेली , अने में पण ते | नेज मारा स्वामीतरीके हृदयमां धारण कर्यो बे. // 14 // माटे हवे कामनी बाथी जो हैं का Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.

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