Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि- पदः श्वापदकृता / श्वंस्तैरपि वर्जितः // द्विजः स जीवितोडियो / जगाहे गहनं चिरं / / 73 // अः / दूरे ध्वनितं नृणां / श्रुत्वा तत्र जगाम सः // कुद्दालशालिनः खानि / खनतस्तान् ददर्श च // 7 // | दोणीखननसरंगो / गोः किमेवं विधीयते // पृष्टास्तेनेति ते प्रोचुः / शृणु वैदेशिकोऽसि यत् // | // 5 // एष निःशेषदारिद्य-द्रोहणो रोहणो गिरिः // विन वप्रतटी सेय-ममेयमणिजन्मनुः // // 6 // खनित्वमा समासाद्य / रत्नराशिं महद्युतिं / दारिद्यस्योदकं दास्या-महे निजगृहे ग. शुमारफते पोताना मरणने श्बवा लाग्यों, परंतु तेन पण तेने मव्यां नहि, एवी रीते जीववाथी कंटाळेलो ते ब्राह्मण घणो वखत वनमां चटक्यो. // 3 // एवामां नजीकमां माणसोनो शब्द सांभळीने ते त्यां गयो, तथा त्यां तेणे ते माणसोने कोदाळीनथी खाण खोदता जोया. // 4 // तमो या जमीन खोदवानुं पावं काम शामाटे करोगे? एवी रीते तेणे पूजवाथी ते. नए कह्यु के तुं कोश्क परदेशी लागे , माटे सांगळ? // 5 // या सर्व दारिद्यने नाश कर नारो रोहणाचल पर्वत , अने अगणित मणिनने पेदा करना या तेनी मेखला ने. // 76|| यामि खोदीने तेमांथी महातेजस्वी रत्नोनो समूह मेळवीने अमो अमारे घेर जश् दारिद्यने P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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