Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 171
________________ धम्मि- श्वापोत्तीर्णाः शरा श्व // 7 // . तेषां निशि विनिद्राणां / विश्रांत्यै क्वापि तस्थुषां / / दत्वा मूर्ध्नि मणिग्रंथि / स्वधानीवास्वपीद् हिजः / / 53 // निजामुजितनेत्रेऽस्मि -नकस्मादेत्य कुंजतः // रत्नग्रंथिं कपिः कोऽपि / जइ 170 | मोदकलीलया // 4 // मुष्टोऽस्मि ग्रंथिमादाय / यात्यसौ वानरो वनं // वयस्या मुंचत वापं / समुत्तिष्टत धावत // 55 // पूरकुर्वतीति विप्रे ते-ऽधावंलगुमपाणयः / न प्रापुर्वानरं कुंजे / ली. परस्पर एक बीजाने नहि उगवामाटे आकरा सोगन लेने तेन धनुषपरथी फेंकायेलां बाणोनीपेठे ऊडपथी सीधे मार्गे चालवा लाग्या. // 7 // ... पजी विश्राममाटे कोश्क जगोए रहेला तेन सर्वे रात्रिए ज्यारे जागता हता त्यारे ते ब्राह्म ण तो मस्तकनीचे ते मणिनी पोटली मूकीने जेम पोताना घरमां तेम त्यां सुश् रह्यो. // 73 // पजी ज्यारे निद्राथी तेनी आंखो मीचा गर त्यारे अकस्मात कामीमांथी कोश्क वानरे भावी |.. लामुनीपेठे तेनी ते रत्नोनी पोटली नपाडी लीधी. // ए४ // ( एवामां जागी नवेलो) ते बा. | ह्मण पोकार करवा लाग्यो के, घरे हुँतो झुटायो, मारी पोटली लेश्ने या वानर वनमां नाशी कोषा Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.

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