Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि| ताः // 7 // प्रयाप्तदोगलोनाब्धि-कलोलांदोलिताशया // संजग्राह खनित्राद्यं / स हैमयववि. क्रयात // 7 // खानि खनन्ननिर्वेद-माददे स बहून मणीन // कर्करत्यागतः साधु-र्दोषत्यागाद्गु पानिव // 6 // काले कलितरत्नौघो / हर्षमल्लरिमात्कृतैः // अाशानटी मनोरंगे / नर्तयन् ववले 165 दिजः // 50 // अन्येऽपि खनकाः केऽपि / मार्गोपद्रवन्नीरवः // दिजः सर्वत्र मान्यः स्या-दिति संजग्मिरेऽमुना // 1 // तेऽन्योऽन्यवंचने गाढ-गृहीतशपयाः पथा // ऋजुणा त्वरितं चेरुजलांजलि देशु.॥ 7 // हवे दोभ पामेला लोगरूपी समुद्रना मोजांनथी प्रेरायेली पाशावो करीने ते ब्राह्मणे ते सुवर्णयवो वहेंचीने कोदाळीयादिक ग्रहण कर्यु. 100 // पछी थाक्याविना खाण खोदीने मुनि जेम दोषोने तजी गुणोने ग्रहण करे, तेम तेणे कांकरा तजीने घ णा मणि ग्रहण कर्या. // 5 // पनी केटलेक वखते रत्नोनो समूह एकठो करीने हर्षरूपी का. खरना कंकारानथी पोतानी मनरूपी रंगनमीमां याशारूपी नटीने नचावतोयको ते ब्राह्मण त्यांथी ( घरतरफ) वयो. // 50 // ब्राह्मण सर्व जगोए. माननीक होय, एम विचारी मार्गमां (चो. रयादिकना) नपवथी डरनारा बीजा केटलाक खोदनारान पण तेनी साथे चाव्या. // 1 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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