Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि- धेढीत्यवोचत // 6 // तेन प्रसारित वस्त्रां-चले चंचलचेतसा // सा - तत्कोपामिहव्यानं / यवमुष्टिं निचिदिपे // 70 // यवावलोकनाकात-कोपो जातिगुंणाद् दिजः // दध्यौ देव्या श. | हो दानं / तोषिताया नवैः स्तवैः // 11 // वणिमात्रेऽपि संतुष्टे / लन्यते खलु भोजनं // यवमु. 165 /ष्टिं ददौ देवी / निर्विवेकं हि वैजवं // 72 // यदर्थ घृष्टगात्रोऽस्मि / तस्य दानं यदीदृशं // दूर स्था एव तद्रम्या / देवताः पर्वता श्व / / 73 // वरं निदौव सा पात्रं / शालिना पूर्यते यया // दुते तुष्टमान थश्बु, माटे तुं करंक पात्र घर? // 6 // त्यारे ते ब्राह्मणे व्याकुल मनयी वस्त्र नो डेडो पाथर्यो, अने देवीए पण तेना क्रोधामिमां घृतसरखा यवो मुठी नरीने तेमां माख्या.॥ // 70 // यवोने जोश पोताना जातिस्वनावधी क्रोधातुर थयेला ते ब्राह्मणे विचार्य के अहो! नवां स्तोत्रोथी खुश थयेली या देवीनुं दान तो जुन !! // 11 // वणिक जेवो पण जो संतष्ट थाय तो पण चोजन मले , अने था देवीए मने मुठी भरी यवं पाप्या! माटे वैजव खरेखर विवेकविनानो . // 12 // जेने माटे मारुं शरीर पाखं घसा गयु, तेणीनुं दान ज्यारे या ने त्यारे देवो तो उंगरनी माफक दूरयीज रळीयामणा , / / 33 / / माटे आना करतां तो ते जीख P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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