Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि- // 5 // ततो निवृत्य भृत्यास्तत्-प्रणाम जनकांबयोः // जगुः समग्रतबुद्धि-निवेदनपुरस्सरं / / सा // 6 // दुर्दर्श दर्शसंपृक्तं / बुध्वा विधुमिवांगजं / सुन रुदती मुक्त-कंठं श्रेष्टी न्यवारयद् // // 7 // वद कल्याणि कोऽयं ते / विषादः परुषावदः // असृक्पलालशोषार्थ-मकांडे समुपस्थि१४७ तः // 7 // खतो वा परतो वापि / यस्य नास्ति विवेकडक // यस्तोकतोयकूपांतः / पातस्तस्य न चित्रकृत् // नए // नपवेश्यं स्वयं प्रेष्य / पुत्रं यो दिदृदसे // अहो जयति जाडयेन / का मिनी पौषयामिनी // 50 // जालान्मुच्येत मीनोऽपि / वीतंसाद्याति पक्ष्यपि // गजोऽपि गबत्या करता नथी. // 5 // पछी ते नोकरोए त्यांथी पाग फरीने धम्मिलना मातपिताने तेना सर्व स. माचार कहीने तेणे (त्यां बेगंज करेलो) नमस्कार कह्यो. // 76 // अमावास्याना चंद्रनीपेठे पुत्रने दुर्दर्श जाणीने मोटेथी रडती सुनडाने शेने निवारी. // 7 // वळी ते बोल्यो के हे क. व्याणि! था अचानक रुधिरमांसने शोषनारो अतिशय खेद तने शुं प्राप्त थयो ? // 7 // | पोतानी मेळे अथवा परथी जेने विवेकदृष्टि नथी, ते जंडा जलवाळा कुवामां पडे तेमां शं नवा. |जे? |नए || वळी तुं पोते पुत्रने वेश्यापासे मोकलीने फरीने तेने जोवानी ना करे ! Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.

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