Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि ऽयमिति चाददे // // // श्रय स्वावनं पश्यं-श्चिरं परिचितं पुरा / / प्राग्जन्मनः स सस्मार।जासाई विमृत्योर्विघ्नाय च // 10 // अयावधिदिने प्राप्ते / करुणारसजंगलैः / / क्रूरैर्व कैखिोल्युंठ-बटुनिर्वे ष्ट्यतेस्म सः // 11 // वाद्यानि वैदिकोजारा / गौरीणां कलंगीतयः // नास्य शुष्कतृणास्वाद१५२ स्यापि तुल्यामदुर्मुदं // 12 // कंथचिद् बालबटुभिः / क्रम्यमाणः पदात्पदं // गलः स गने ब. | ध्वा / ग्रामाद्रहिरनीयत // 13 // दिजानुद्देजयंते तं / कुवैतं बर्करावं // वीक्ष्य वृदातलासीनः / पूर्व घणो काळ भोगवेला पोताना घरने जोश्ने पूर्वनो जन्म याद करवा लाग्यो, तथा (पोता. नां) थनारां मृत्युथी डरवा लाग्यो. // 10 // पजी ज्यारे निर्णय करेलो दिवस आव्यो त्यारे निर्दय तथा क्रूर वरुसरखा ते नवंठ ब्राह्मणोए तेने घेर्यो. // 11 // ते वखते वागतां वाजित्रो, वेदना ध्वनि, तथा स्त्रीननां मनोहर गीतों ते बकराने सुका घासना स्वाद सरखो हर्ष पण न दे. बा लाग्यां. // 12 // ब्राह्मणना बालकोथी केटलीक महेनते पगले पगले चलावाता ते बकराने गळे बांधीने गामनी बहार ले गया. // 13 / / एवी रीते ब्राह्मणोने कंटाळो बापता तथा दीन | स्वरथी पोकार करता ते बकराने जोश्ने त्यां वृदानीचे बेठेला कोश्क साधुए कह्यु के, // 14 // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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