Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 155
________________ धम्मि- त्तानबुष्यः // इति विप्रैर्मुनिः प्रोक्त-गगस्य प्राग्नवं जगौ // 15 // ततो जातिमदामातसाई कोपाः सर्वेऽपि वाडवाः // वाडवामिवदुज्ज्वाला -शुक्रुशुस्तं तपःकृशं // 20 // किमेवं नापसे नि: दो। वातकीवासमंजसं // पिता नः स्वरबल्लेखो / मेषोऽयमपरः पुनः // 11 // यः स्वमंत्रबलान्नै१५४ | कान् / नाकं निन्ये पशूनपि // दुर्गतिं वदतस्तस्य / जिह्वा ते शटिता न किं // 22 // ऊचे सु. धामुचं वाचं / वाचंयमशिरोमणिः // अहो विजा अजान द्भिः / किं वृथैवं प्रजटप्यते // 3 // य. // 17 // त्यारे जातिमदथी क्रोधातुर थयेला ते सर्वे ब्राह्मणो वडवामिनीपेठे जाज्वव्यमान थइ. ने तपथी दुर्बल थयेला ते मुनिप्रते कोप करवा लाग्या. // 20 // अरे निक्षु ! तुं वाएलनी मा फ़क पाईं जूठं शामाटे बोले ? अमारो पिता तो देवलोकमां देव थयो , या बकरो तो कोश्क बीजो जे. // 21 // वळी हे शिक्कु ! जे अमारा पिताए पोताना मंत्रबलायी अनेक पशन ने देवलोकमां पहोंचाड्या , तेनी दुर्गति कहेतां तारी जीन सडी केम न गइ? // // सारे ते मुनिराज अमृतसरखी वाणी बोख्या के अहो ब्राह्मणो! अज्ञानने लीधे तमारे फोकट शामाटे | एम कहेवू पडे ले ? // 23 // मुनिन जीव जाय तो पण जूतुं बोले नहि, माटे जो तमो धीरा P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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