Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ धम्मि-| तत्राजिष्टदेवस्य / प्रतिमां समंतिष्टपत् // 4 // प्रतिवत्सरमेकैकं / तत्पुरः स विजब्रुवः // अकल्पय दर्ज हंतु-मबलं बलिकर्मणे // 5 // पांपाधिकरणं धर्म-मिषादेवं प्रवर्त्य सः // बनार परमांप्री| तिं / क नु मिथ्यादृशां कृपा // 6 // पुत्रेषूपदिशंश्गग-बलिं स मरणदणे // विपद्य सद्यस्तट्या 151 | न-वशः पशुगतिं गतः // 7 // तस्मिन्नुपरते तस्य / तनयाः प्रतिवत्सरं // पूर्ववनिःकृपास्तत्रै कैकमालेगिरे पशु // 7 // स एव पितृजीवाजो-ऽन्यदा तैः पशुवाटके / / ददृशेऽविमरीसेन / मत्तोह्मण ते देवनीपासे दर वर्षे एक निर्बल बकराने मारीने बलिदान करवा लाग्यो. // 5 // एवी रीते धर्मने बहाने ते पापारंननुं कार्य करीने अत्यंत खुशी थवा लाग्यो, केमके मिथ्याष्टिनने दया ते क्याथी होय? // 6 // पी मरणसमये ते पोताना पुत्रोने बकराना बलिदाननो उपदे. श देश मरीने तुरत तेज ध्यानने लीधे ते तिर्यचगतिमां गयो. // 7 // हवे तेना मृत्युबाद ते पुत्रो दर वर्षे पूर्वनीपेठे निर्दय थश्ने त्यां एकेक पशुने माखा लाग्या: / / // पनी एक दिवसे बकरारूप थयेलो तेज पोताना पितानो जीव तेनए पशुनना वामामां जोयो, त्यारे गामरन दव पीपीने पुष्ट थयेलो या बकरो ठीक में, एम विचारीने तेनए ते लीयो. // ए॥ हवे ते बकरो P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Page Navigation
1 ... 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173