Book Title: Chaityavandan Sangraha Tirth Jin vishesh
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 10
________________ चैत्यवंदन संग्रह नमो पुण्यराशि, नमो पर्वतेद्रं, नमो शत्रुजय देव सयल नतेन्द्रं...२... नमो मुक्ति गेहं, सुभद्र नगेन्द्र, द्रढ शक्ति महातीर्थ, हरे कर्म वृन्द, नमो पुष्पदंतं, महापद्मनाथं, धरा पीठ श्री कैलाश नमो मुक्तिधाम...३... पातालमूलं वली नमो शाश्वतं, नमो सर्व कामित प्रदं श्री मुक्तिदं च, नमो सर्व तीर्थावतारं सुतारं, नमो मुक्ति श्रीमंत निर्वाण हारं...४... प्रभाते उठीने जिन नाम जंपे, गीरिराज नामे सवि पाप कंपे, जिनेश उत्तम पद पद्म ध्यावे, चिदानंद निजरूप शुद्ध भव्य पावे...५... सिद्धाचल शिखरे चढी, ध्यान धरो जगदीश, मन वच काय अकाग्रशं, नाम जपो अकवीश...१... शत्रुजयगीरि वंदिओ, बाहुबली गुणधाम, मरुदेव पुंडरीकगीरि, रैवतगीरि विसराम...२... विमलाचल सिद्धराजजी, नाम भगीरथ सार, सिद्धक्षेत्र ने सहस्रकमल, मुक्तिनिलय जयकार...३... सिद्धाचल शतकूटगीरि, ढंकने कोडि निवास, कदंबगीरि लोहित्य नमो, तालध्वज पुण्यराश...४... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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